टीबी के खिलाफ मजबूत कदम! 100 दिवसीय अभियान से उत्तराखंड में हर किसी को मिलेगी नई उम्मीद
– केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने टीबी उन्मूलन अभियान के संबंध में ली बैठक
– राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर मुख्यमंत्री धामी ने विस्तार से दी जानकारी
देहरादून, 21 दिसंबर (हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान के संबंध में एक बैठक की। बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल रूप से भाग लिया और राज्य सरकार द्वारा इस महत्वपूर्ण अभियान के तहत किए जा रहे प्रयासों को साझा किया।
मुख्यमंत्री धामी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन से इस अभियान को सफलता मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड राज्य के 13 में से 8 जनपदों को इस अभियान के लिए चिह्नित किया गया है, जहां पर राज्य सरकार लगातार टीबी की पहचान, इलाज और रोकथाम के लिए काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक 23,800 टीबी मरीजों को निक्षय मित्रों द्वारा गोद लिया गया है।
राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड में कुल 33 हैण्डहेल्ड मोबाइल एक्स-रे मशीनें उपलब्ध हैं, जिससे स्क्रीनिंग और टेस्टिंग को बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा राज्य में 131 नॉट मशीने भी उपलब्ध है और सभी ब्लॉक में कम से कम एक मशीन तैनात की गई है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आठ जनपदों में 25 निःक्षय वाहन तैनात किए गए हैं, जो समुदाय को जागरूक करने और शिविर स्थल पर एक्स-रे के लिए उपयोग किए जा रहे हैं।
इस अभियान के दौरान टीबी के प्रति संवेदनशील आबादी की जांच के लिए विभिन्न सामूहिक स्थानों जैसे आयुष्मान आरोग्य मंदिर, कार्यस्थल, जेल, वृद्धाश्रम और अन्य चिकित्सा इकाईयों पर शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से टीबी उपचार संबंधित औषधियों की उपलब्धता के लिए भी आग्रह किया, जिस पर नड्डा ने उन्हें आश्वस्त किया।
गौरतलब है कि 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान के अंतर्गत भारत के 347 उच्च फोकस जिलों का चयन किया गया है, जिनमें उत्तराखंड के आठ जनपद (बागेश्वर, चमोली, चंपावत, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी, पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग) शामिल हैं। इस अभियान का उद्देश्य टीबी से ग्रसित लोगों की पहचान कर उन्हें समय पर उपचार प्रदान करना और टीबी के प्रति संवेदनशील आबादी की स्क्रीनिंग करना है।