हमारा उद्देश्य समग्र विकास, छत्तीसगढ़ में हो रहा बढ़िया काम : राज्यपाल डेका
रायपुर, 6 नवंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय राज्योत्सव के समापन तथा राज्य अलंकरण समारोह में राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि, मैं असम प्रदेश से आता हूं। यह हरा-भरा प्रदेश है। छत्तीसगढ़ और असम राज्य में कई समानताएं हैं। छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत हिस्सा वनों से घिरा हुआ है। दोनों ही राज्य प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर राज्य है। प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखते हुए छत्तीसगढ़ को विकास के पथ पर सतत् आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्रशंसा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की स्थापना के 24 वर्षाे में हमने शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। एक युवा राज्य के रूप में हमारा उद्देश्य सिर्फ आर्थिक विकास नहीं बल्कि समग्र विकास है जिसमे हर नागरिक का उत्थान हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत 2047 की संकल्पना को हम सबको साकार करना है। इसमे हर नागरिक, हर युवा पूरे उत्साह से योगदान देगा। प्रदेश के विकास में महिलाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई योजनाएं प्रारंभ की गई है। महिलाओं को समाज में सम्मान जनक स्थान दिलाने के लिए महतारी वंदन योजना जैसी अभिनव योजनाएं संचालित हो रही हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने संबोधन की शुरुआत अलंकृत हो रही सम्मानित विभूतियों को बधाई देते हुए की। उन्होंने कहा कि आज अलंकृत हो रही विभूतियों में नारायणपुर के बुटलू राम माथरा जी भी हैं। उनकी सराहना ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम में हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने भी की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्योत्सव 03 करोड़ छत्तीसगढ़ियों की एकता और अखण्डता का प्रतीक है। पिछले 2 दिनों में हम लोगों ने 24 वर्षों की यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ को मिली उपलब्धियों का जश्न मनाया, लेकिन आज का यह अवसर अपनी आगे की यात्रा के बारे में बात करने का अवसर है, विकास की नई ऊंचाईयों को छूने का संकल्प लेने का अवसर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल हम लोग राज्य स्थापना की रजत जयंती मनाएंगे, उसके आगे की यात्रा राज्य के स्वर्णिम भविष्य के साथ स्वर्ण जयंती की ओर आगे बढ़ने की यात्रा होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी माताएं-बहनें भावी विकास के लिए हमारी ताकत हैं। हमारी महतारी वंदन योजना के फलस्वरूप प्रदेश की माताएं और बहनें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं। महिला सशक्तिकरण से ही हम प्रदेश का सशक्तिकरण कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में शांति स्थापित करते हुए लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की पुण्य भूमि में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। माओवाद के खिलाफ कड़ाई के साथ लड़ रहे हैं। राज्य में माओवाद अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर क्षेत्र के युवाओं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने, बस्तर की खेल प्रतिभाओं को सामने लाने के उद्देश्य से हम बस्तर ओलंपिक का आयोजन कर रहे हैं।प्रदेश के किसानों, आदिवासियों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं सहित समस्त नागरिकों से अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति में भागीदार बनें। आप सभी के प्रयासों से विकसित छत्तीसगढ़ के सपनों को साकार करेंगे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री साय ने लोककलाकारों को प्रोत्साहित करने महत्वपूर्ण घोषणा भी की। उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोक कलाकरों को प्रोत्साहित करने तथा लोक संस्कृति का देश विदेश में प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से बनाए गए ‘‘छत्तीसगढ़ कलाकार पंजीयन भुगतान नियम 2021’’ के संबंध में कला, संगीत, नृत्य, नाट्य एवं गायन के क्षेत्र में राज्य अलंकरण प्राप्त कलाकारों के लिए एक विशिष्ट ग्रेड ‘ए1’ निर्धारित करने की घोषणा की।
साथ ही समस्त ‘‘ए’’ श्रेणी के कलाकारों की अधिकतम कार्यक्रम स्वीकृति सीमा को 10 से बढ़ाकर 20 किया जाता है तथा ‘‘बी’’ श्रेणी कलाकारों की अधिकतम सीमा 12 को बढ़ाकर 24 करने की घोषणा की। साथ ही ग्रेड निर्धारण समिति की प्रत्येक बैठक में अधिकतम 3 प्रतिष्ठित कला विशेषज्ञों को अशासकीय सदस्य के रूप में सम्मिलित करने की घोषणा की।
इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह ने भी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा से लेकर कौशल उन्नयन तक हर क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में बढ़िया काम हमने किया। छत्तीसगढ़ कभी पलायन के लिए जाना जाता था। एक रुपए किलो चावल आने के बाद छत्तीसगढ़ से पलायन का काम रूका। अब यहां आईआईटी भी हैं आईआईएम भी हैं। 14 मेडिकल कालेज भी है। उन्होंने इस अवसर पर सभी नागरिकों को राज्य स्थापना दिवस की बधाई भी दी।
इस मौके पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद एवं अन्य अधिकारी तथा गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
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