रेलवे ने काटे 242 हरे पेड़, हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए रेलवे अधिकारियाें से शपथ पत्र के साथ मांगा जवाब

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रेलवे ने काटे 242 हरे पेड़, हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए रेलवे अधिकारियाें से शपथ पत्र के साथ मांगा जवाब

बिलासपुर, 7 नवंबर (हि.स.)। बिलासपुर रेलवे जोन वंदेभारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए डिपो के निर्माण और नई लाइन के काम के लिए हरे भरे पेड़ों को काट दिया। इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश बिभु दत्त गुरु की युगलपीठ में गुरुवार काे सुनवाई हुई, जिसमें चीफ जस्टिस ने पेड़ कटाई को लेकर के नाराजगी जताई है। वहीं रेलवे के अधिकारियाें से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब भी मांगा है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि रेलवे के पास कोई विशेषज्ञता है क्या, जो पेड़ को काटें ?

वंदेभारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए डिपो का निर्माण किया जा रहा है। रेलवे ने जहां डिपो बनाने का निर्णय लिया है, वहां पूरी तरह हरियाली बिछी हुई है। पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग की अनुमति जरुरी है। लिहाजा रेलवे अफसरों ने मई में 242 पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग को पत्र लिखा था। वन विभाग के अधिकारियाें ने अब तक इस संबंध में अनुमति नहीं दी। वन विभाग की अनुमति के बगैर रेलवे के अफसरों ने पेड़ों की शिफ्टिंग का खेल भी खेला। इसके बाद सीधे पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। रेलवे के अधिकारियाें के इशारे पर 242 पेड़ों को काट दिया गया है।

जितनी मांगी थी अनुमति उससे ज्यादा काटे पेड़

मीडिया रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया था। पिछले शुक्रवार को जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए राज्य शासन व रेलवे के अधिकारियाें से पूछा कि बगैर अनुमति इस तरह का काम क्यों किया गया। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप लोगों की कोई चिंता है भी या नहीं। बड़ी संख्य में हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर दी गई है। नाराज चीफ जस्टिस ने इस संबंध में रेलवे के अफसरों व राज्य शासन को शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने के निर्देश दिए हैं।

महाधिवक्ता ने दिया जवाब

महाधिवक्ता ने कहा कि पेड़ों को काटने के लिये रेलवे ने राज्य शासन के वन विभाग के अधिकारी डीएफओ से अनुमति मांगी थी। वहीं अधिकारी ने पेड़ों के गणना पत्रक और वृक्ष विदोहन की प्राक्कलन राशि बनाने के लिए रेंजर को निर्देशित कर लेटर जारी किया था। लेकिन अनुमति के पहले ही रेलवे ने पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। राज्य शासन की तरफ से वन विभाग के अधिकारी वन संरक्षक के दिए गए हलफनामे में बताया गया है कि 242 पेड़ों की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन पहले ही पेड़ों की कटाई की गई। वनविभाग ने बताया 160 पेड़ काटे गए, 54 विस्थापित किए गए और 72 मौजूद मिले। जिसमें बबूल, मुनगा और अन्य प्रजाति के पेड़ काटे गए हैं। गुरुवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में रेलवे की अधिवक्ता को निर्देश देते हुए पेड़ कटाई के संबंध में दाे सप्ताह का समय देते हुए शपथ पत्र के माध्यम जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की गई है।

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