पंजाब में भूजल संकट खत्म! गुरु हरसहाय-मक्खू ब्लॉक अब सुरक्षित जोन घोषित!

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पंजाब के भूजल संकट में हाल ही में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। राज्य के 63 ब्लॉकों में जल स्तर में सुधार संभवतः यह दर्शाता है कि नहरी सिंचाई प्रणाली के कार्यान्वयन के फलस्वरूप जल निकासी की स्थिति में कुछ राहत आई है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, गुरु सहाय और मक्खू ब्लॉक को अब सुरक्षित श्रेणी में रखा गया है, जबकि पिछले कई वर्षों से इनका जल स्तर लगातार गिरता जा रहा था। राज्य की आप सरकार ने नहरी पानी से सिंचाई की गतिविधियों को प्रोत्साहित किया है, जिससे जल स्तर में यह सुधार आया है। इस स्थिति का निर्माण 24 साल बाद हुआ है, जब से 2001-2002 के बाद भूजल में भारी कमी दर्ज की गई थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि जल स्तर में सुधार के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। पिछले वर्ष 18.84 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी का रिचार्ज हुआ था, जबकि इस बार यह बढ़कर 19.19 बिलियन क्यूबिक मीटर पहुंच गया है। इसके बावजूद, राज्य में हर साल 28 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी का उपयोग हो रहा है, जो खतरे का संकेत है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पंजाब में हर साल 17.07 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही निकाला जाए, तो सतत जल उपलब्धता बनाए रखना संभव है। लेकिन वर्तमान में, धान की फसल की आवश्यकता के चलते जल निकासी दर काफी अधिक हो रही है।

सरकार ने जल स्तर सुधारने की दिशा में कई प्रयास किए हैं। पिछले दो वर्षों में 15,914 नहरों का निर्माण किया गया है और 347 किलोमीटर लंबी 45 नहरों का पुनर्वास किया गया है, जिससे कई खेतों में 30 साल के बाद फिर से नहर का पानी पहुंचा। इसके साथ ही, मालवा नहर की भी योजना बनाई गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मसले पर जोर देते हुए कहा कि नहर के पानी की आपूर्ति बड़े शहरों में शुरू की गई है और फसल पैटर्न में भी बदलाव किया जा रहा है। उनका कहना है कि राज्य में धान और गेहूं के पारंपरिक चक्र से बाहर आने का समय आ गया है।

कृषि विशेषज्ञ कुलदीप सिंह ने यह भी बताया कि हाल के वर्षा के मौसम ने जल स्तर को सहेजने में मदद की है। धान की खेती के कारण खेतों में पानी एकत्रित होने से जल रिचार्ज हो रहा है। हालांकि, यदि ये सुधार निरंतर बनाए रखे जाएं और शहरी क्षेत्रों से पुनः उपचारित जल का उपयोग सिंचाई में किया जाए, तो स्थिति और अधिक सुधर सकती है। विभिन्न कृषि कार्यक्रमों और प्रशिक्षणों के माध्यम से किसानों को कम जल की आवश्यकता वाली धान की किस्मों के प्रति प्रेरित किया जा रहा है, ताकि जल संकट की गंभीरता को कम किया जा सके।

इसलिए, यदि ये प्रयास जारी रहे, तो पंजाब में भूजल स्तर में सुधार का क्रम जारी रहेगा और भविष्य में जल संकट की समस्या कम होने की संभावना है। किसानों को अपनी भूमिका निभाते हुए सतत कृषि विकास की दिशा में सोचने और कार्य करने की आवश्यकता है।