पंजाब के अमृतसर में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हवाई यातायात पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। सोमवार को यहां तीन फ्लाइटों को खराब दृश्यता के कारण चंडीगढ़ की ओर मोड़ना पड़ा। इस सूची में एक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट के साथ-साथ दो घरेलू फ्लाइट्स शामिल थीं। जानकारी के अनुसार, शनिवार को अमृतसर में प्रदूषण का स्तर 336 एक्यूआई (AQI) तक पहुंच गया था, जो कि “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। इसके परिणामस्वरूप, इलाके में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है, जिससे भारी कमी आई है।
गौरतलब है कि इस समय प्रदूषण का स्तर तेजी से खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है, जिसका सीधा असर हवाई मार्गों पर भी पड़ा है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इन विमानों को चंडीगढ़ डायवर्ट करने का निर्णय लिया। स्थानीय एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाना आवश्यक हो गया था, क्योंकि 336 एक्यूआई स्तर का मतलब है कि हवा में मौजूद जहरीले कण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और फेफड़ों से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
स्थानीय प्रदूषण के इस बढ़ते संकट के पीछे दिवाली पर पटाखे फोड़ना, पराली जलाना और बढ़ता यातायात प्रदूषण प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। इसके साथ ही मौसमी स्थिरता भी इन समस्याओं को और बढ़ा रही है। नतीजतन, अमृतसर एयरपोर्ट पर विमानों की लैंडिंग अब एक चुनौती बन गई है। इस स्थिति के चलते यात्रियों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी यात्रा योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
डायवर्जन के कारण प्रभावित यात्रियों ने चंडीगढ़ में असुविधा का सामना किया, जिसके लिए एयरलाइंस ने आवश्यक सेवाएं प्रदान करने का प्रयास किया। एयरलाइंस ने यात्रियों को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई और उनकी आगे की यात्रा के लिए व्यवस्था की। हालांकि, कई यात्रियों ने शिकायत की कि उन्हें इस अचानक डायवर्जन के बारे में सूचना देर से दी गई, जिससे उन्हें यात्रा में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यह स्थिति न केवल यात्रियों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि एयरलाइंस के संचालन में भी बाधा उत्पन्न कर रही है।
अतः, अमृतसर एयरपोर्ट पर वर्तमान हालात और बढ़ते प्रदूषण स्तर का समग्र प्रभाव, जहां यात्रियों की यात्रा योजनाएं प्रभावित हो रही हैं, वहीं एयरलाइंस को भी इस कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है। उठाए गए कदमों के बावजूद, प्रदूषण की इस समस्या के निरंतर बढ़ने पर उपचार की आवश्यकता है।