किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को शुक्रवार देर शाम लुधियाना स्थित DMC अस्पताल से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद, उन्होंने हरियाणा और पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर पहुँचकर रात 12 बजे मरणव्रत अनशन पर बैठ गए। इस दौरान सुखजीत सिंह हरदो झंडा भी पहले से ही मरणव्रत पर बैठे हुए थे। किसान नेताओं का दावा है कि केंद्र सरकार के पास बातचीत के लिए केवल पांच दिन का समय है और 6 दिसंबर को वे तय कार्यक्रम के अनुसार दिल्ली का कूच करेंगे। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने जानकारी दी कि डल्लेवाल के खनौरी बॉर्डर पहुँचने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान के घर के घेराव का फैसला टाल दिया गया है।
इसके अलावा, शनिवार को किसान मजदूर मोर्चा ने 6 राज्यों के किसान संगठनों के नेताओं की एक बैठक आयोजित की, जिसकी अध्यक्षता केरल के किसान नेता पीटी जोन और पंजाब के गुरअमनीत सिंह मांगट ने की। इस बैठक में किसानों ने डल्लेवाल की गिरफ्तारी को आम आदमी पार्टी सरकार का दोहरा चरित्र बताया। सभी संगठनों के बीच 6 दिसंबर को दिल्ली कूच की तैयारी को लेकर भी सहमति बनी। बैठक में लंगरों की व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंधन और वालंटियर्स की संख्या पर विस्तृत चर्चा की गई।
रिहाई के बाद, डल्लेवाल ने मीडिया से बात करते हुए कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि उन्हें जहाँ रखा गया, वहाँ मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं थी और उन्हें नजरबंद रखा गया था। उन्होंने कहा कि अस्पताल में उन्हें कई बार उपचार की कोशिश की गई, लेकिन वे अनशन पर बैठे रहने के निर्णय पर अडिग थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई पंजाब सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य की रक्षा के लिए है। उन्होंने पंजाब से कोई प्रतिकूलता नहीं होने का स्पष्ट संदेश दिया।
1 दिसंबर को होने वाले प्रदर्शन की तैयारी के संदर्भ में, डल्लेवाल ने बताया कि 26 नवंबर को, उन्होंने खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत शुरू करने का निर्णय लिया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और अस्पताल ले गए। किसानों का यह भी कहना है कि पंजाब सरकार ने उनकी लड़ाई में कोई सहयोग नहीं किया और उनका समर्थन नहीं किया। सीएम भगवंत मान के वादों की चर्चा करते हुए, किसान नेताओं ने सवाल उठाया कि उन्होंने केंद्र सरकार के साथ किसान आंदोलन के मुद्दों पर अब तक क्या चर्चा की है।
सरवन सिंह पंधेर ने यह स्पष्ट किया कि 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं और हर जिले में किसानों को लामबंद करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब किसानों की लामबंदी केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार के खिलाफ भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि किसानों का संघर्ष अब और भी व्यापक हो चुका है।