पंजाब के फरीदकोट में थाना सिटी पुलिस एक अप्रत्याशित विवाद में फंस गई है। आमतौर पर पुलिस कार्रवाई में सीसीटीवी फुटेज का उपयोग अपराधियों को पकड़ने के लिए किया जाता है, लेकिन इस बार सीसीटीवी कैमरे ने पुलिस की कार्रवाई को संदिग्ध बना दिया है। दीवाली के अवसर पर फरीदकोट के स्थानीय बाजार में पुलिस ने एक पटाखा स्टाल पर जाकर वहां से पटाखे उठाए और इन्हें अपनी सरकारी गाड़ी में रखकर चले गए। यह घटना न केवल स्थानीय व्यापारियों बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है।
इस घटना के संदर्भ में, जब पटाखों के स्टाल से पुलिस द्वारा उठाए गए पटाखों को वापस नहीं किया गया और न ही स्टाल संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई, तो यह मामला स्थानीय लोगों में आक्रोश का कारण बन गया। खास बात यह है कि इस पूरी कार्रवाई की वीडियो क्लिप एक पास की दुकान के सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसने सोशल मीडिया पर धूम मचाई। वीडियो के वायरल होते ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने संबंधित पुलिस दल से स्पष्टीकरण मांगा है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि असल में घटना का सच क्या है।
यहां तक कि फरीदकोट के डीएसी त्रिलोचन सिंह ने भी इस मामले में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो का मामला उनके ध्यान में आया है और वे इसकी विस्तृत जांच कर रहे हैं। उनका दावा है कि पुलिस ने सूचना प्राप्त की थी कि शहर में कुछ लोग गैरकानूनी तरीके से पटाखों का स्टाल लगाए हुए थे, और इसी सूचना के आधार पर पटाखों को जब्त किया गया। हालांकि, यह भी कहा गया कि कुछ लोगों को चेतावनी देकर पटाखे लौटाए गए थे। लेकिन वायरल वीडियो और जांच की प्रक्रिया ने इस दावे को सवालों के घेरे में डाल दिया है।
पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल स्थानीय जनता को बल्कि प्रशासन को भी एक नई चुनौती दी है। जिसमें यह विचार कर पाना आवश्यक है कि क्या कार्रवाई का तरीका उचित था, और क्या पुलिस ने अपने अधिकारों का सही उपयोग किया। इस मामले की जांच के दौरान, यह देखना होगा कि क्या पुलिस अपने दावों को साबित कर पाती है या फिर वीडियो में दिखाए गए तथ्यों के आधार पर उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।
फिलहाल, फरीदकोट की इस घटना ने एक बार फिर कानून व्यवस्था और पुलिस की परिपाटियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय समुदाय में पुलिस के प्रति विश्वास को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इस प्रकार की घटनाओं से पुलिस की छवि प्रभावित होती है। इसलिए प्रशासन के लिए आवश्यक है कि वे मामले की संपूर्णता की जांच कर उपयुक्त कार्रवाई सुनिश्चित करें, ताकि ऐसी incident भविष्य में दोबारा न हों।