पंजाब सीएम का कनाडा घटना पर हमला: “हर पंजाबी दोषी नहीं, कनाडा दूसरा घर”

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3 नवंबर 2024 को कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में एक हिंदू सभा मंदिर पर खालिस्तानी समर्थकों के द्वारा किए गए हमले की पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तीव्र निंदा की है। उन्होंने बठिंडा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस हमले को भर्त्सना करते हुए कहा कि ऐसी हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए भारत और कनाडा की सरकारों के बीच संवाद होना आवश्यक है। सीएम मान ने ध्यान दिलाया कि कनाडा में रहने वाले पंजाबी इसे अपना दूसरा घर मानते हैं, और सभी लोग शांति और सुरक्षा की कामना करते हैं।

सीएम भगवंत मान ने इस घटनाक्रम पर बात करते हुए कहा, “जिस प्रकार की घटना कनाडा में घटी है, वह अत्यंत निंदनीय है। हम सभी पंजाबी शांतिप्रिय हैं और इस तरह की हिंसा को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। भारतीय समुदाय को सुरक्षित रखना हमारे लिए महत्वपूर्ण है, और मुझे यह आशा है कि भारत सरकार कनाडा से बातचीत करके ऐसे घटनाक्रमों को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों के कारण पूरे समुदाय को नहीं बदला जा सकता, और इस प्रकार के खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों को सख्ती से रोकने की आवश्यकता है।

कनाडा में हुए इस हमले के संदर्भ में सीएम मान ने कहा कि यहां के लोग अक्सर अपने त्यौहार और शादियाँ मनाने के लिए भारत आते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध मजबूत होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह घटना दोनों समुदायों के बीच दूरियों को बढ़ा सकती है, इसलिए ज़रूरी है कि दोनों देशों के बीच संपर्क और संवाद भी जारी रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत सरकार को कनाडा सरकार के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए।

साथ ही, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि धर्म की राजनीति करना सही नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विशेषत: ऐसे संवेदनशील समय में जब सभी को शांतिपूर्ण सह-अवस्थापन की आवश्यकता है, धर्म के नाम पर विवाद खड़ा करना बेहद गलत है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि यह घटना केवल एक समुदाय की नहीं, बल्कि सभी के लिए चिंताजनक है।

कनाडा में हिंदू सभा मंदिर के बाहर हुए इस हमले की घटना से विश्व समाज में एक तृतीय विश्व प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि हमें आशा है कि कनाडा सरकार इस पर ठोस कदम उठाएगी। इसके अतिरिक्त, यह भी बताया गया है कि ब्रैम्पटन में इस मंदिर के बाहर भारतीय उच्चायोग ने कॉन्सुलर कैंप स्थापित किया था, जिसमें भारतीय नागरिकों की जरूरतों को पूरा किया जा रहा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस आक्रमण का संबंध 1984 के सिख विरोधी दंगों की 40वीं वर्षगांठ के विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा था। यह घटना न केवल दो देशों के रिश्तों को प्रभावित कर रही है, बल्कि भारतीय समुदाय की सुरक्षा और सम्मान पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है।