चंडीगढ़ और पंचकूला से चार बच्चे हिमाचल प्रदेश में लापता हो गए हैं, जो कि एक निजी विद्यालय के छात्र हैं। इन बच्चों की उम्र 11 से 12 साल के बीच है। लापता बच्चों में से दो मौलीजागरां के निवासी हैं, एक ढकोली से, और एक पंचकूला के सेक्टर 12 का निवासी है। पुलिस के अनुसार, बच्चों के अभिभावकों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें बताया गया है कि बच्चे स्कूल की एक ट्रिप पर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के कसौल गए थे।
इस ट्रिप के दौरान कुछ नाबालिग बच्चों ने एक स्थान पर फ्लेवर्ड हुक्का पी लिया। जब स्कूल का दौरा समाप्त हुआ, तो सभी बच्चे वापस लौटने लगे। इसी दौरान, ट्रिप पर मौजूद एक छात्र ने इन चारों बच्चों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उस छात्र ने धमकी दी कि वह उनके माता-पिता को हुक्का पीने के बारे में बता देगा। अभिभावकों के अनुसार, संभवत: इसी डर के कारण बच्चे घर लौटने से हिचकिचा रहे हैं।
बच्चों के परिवार का कहना है कि उन्होंने सभी जानकारों, रिश्तेदारों और मित्रों से सम्पर्क किया है, लेकिन उनके बच्चों का कोई सुराग नहीं मिल सका है। इस अभूतपूर्व घटना के कारण चंडीगढ़ और पंचकूला की पुलिस हरकत में आ गई है और उनकी तलाश में जुटी हुई है। पुलिस ने उन सभी रास्तों के सीसीटीवी कैमरों की जांच शुरू कर दी है, जिन पर होकर बच्चे स्कूल आते-जाते हैं।
पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए मामलों की पूरी जांच का आश्वासन दिया है। वे बच्चे मिलने से पहले अपने सभी गुप्त और सार्वजनिक स्रोतों का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही, कई स्थानीय जनसमुदायों से भी मदद मांगी जा रही है ताकि सुराग मिल सके। बच्चों के अभिभावकों ने मीडिया से भी अपील की है कि उनकी जानकारी को साझा करें ताकि उनके लापता बच्चे जल्दी से जल्दी लौट सकें।
यह घटना न केवल उनके परिवारों के लिए, बल्कि समाज और स्कूल प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। बच्चों के साथ हो रही ऐसी घटनाओं के प्रति अवबोधन बढ़ाना आवश्यक है ताकि इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में पुनः न हों। समाज में बच्चों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी प्रकार के खतरे से बच्चों की रक्षा की जा सके। इस संकट के समय में सभी का सहयोग आवश्यक है ताकि ये लापता बच्चे जल्द से जल्द अपने घर लौट सकें।