अबोहर के खांटवा गांव में एक नाबालिग छात्र ने दुखद घटना को अंजाम देते हुए आत्महत्या कर ली। 17 वर्षीय रविंदर कुमार, जो कि महिंदर कुमार का बेटा था, दो भाई-बहनों में सबसे बड़ा था और दसवीं कक्षा में अध्ययन कर रहा था। बताया गया है कि रविंदर ने पढ़ाई के तनाव के कारण कल रात अपने ही घर के एक कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। जब उसकी मां ने उसे लटकते हुए देखा, तो उसने शोर मचाया, जिसके बाद अन्य परिजन मौके पर पहुँचे और तुरंत उसे नीचे उतारकर अस्पताल ले गए। हालांकि, वहाँ चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस घटना की सूचना मिलते ही थाना बहाववाला की पुलिस मौके पर पहुंच गई। उन्होंने शव को अपने काबू में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अबोहर के अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है और रविंदर के पिता महिंदर के बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 194 के तहत कार्रवाई की जा रही है। इस धारा के अंतर्गत स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की जाती है।
गौर करने वाली बात है कि यह पहली बार नहीं है जब ऐसी दुखद घटना सामने आई है। कुछ दिन पहले ही, एक अन्य कान्वेंट स्कूल की दसवीं कक्षा की छात्रा ने भी इसी प्रकार से आत्महत्या कर ली थी। उसके परिजनों ने उस मामले में बिना किसी पुलिस कार्रवाई के शव का अंतिम संस्कार कर दिया था, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या हमारे समाज में बच्चों पर पढ़ाई का दबाव थोड़ी अधिक बढ़ गया है।
समाज में बढ़ते मानसिक दबाव को देखते हुए, यह घटनाएं चिंताजनक है। विशेषज्ञों ने इस विषय पर कई बार चेतावनी दी है कि बच्चों पर पढ़ाई के अत्यधिक दबाव के कारण उनकी मानसिक सेहत प्रभावित हो रही है। बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संवाद की कमी भी इस समस्या को और बढ़ा रही है। समाज को चाहिए कि वह बच्चों के तनाव को समझे और उन्हें खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का मौका दे।
अबोहर की यह घटना सभी के लिए एक गंभीर चेतावनी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करें और उन्हें सपोर्टिव माहौल प्रदान करें। स्कूलों को भी चाहिए कि वे छात्रों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं, ताकि उन्हें जरूरत पड़ने पर सही दिशा में सहायता मिल सके। इस घटना के पीछे की वजहों का अध्ययन करके हमें समाज में बदलाव लाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।