पंजाब: आहलूवालिया चौक का नाम बदलने पर विवाद, AAP सरकार पर विपक्ष का हमला!

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पंजाब के अमृतसर में स्थित ऐतिहासिक आहलूवालिया चौक हाल ही में विवादों में घिर गया है। गोल्डन टेम्पल के निकट यह चौक विरासती मार्ग का हिस्सा है, जहाँ पर्यटन विभाग और नगर निगम ने एक नया बोर्ड स्थापित किया है, जिसमें चौक का नाम ‘जलेबी वाला चौक’ दर्शाया गया है। इस बोर्ड की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से फैलीं, जिससे राजनीतिक विवाद छिड़ गया। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने इस बदलाव का तुरंत विरोध करते हुए कहा है कि यह सिख इतिहास को मिटाने की एक और कोशिश है। उन्होंने कहा कि भगवंत मान की सरकार ने ऐतिहासिक कटड़ा आहलूवालिया चौक का नाम बदलकर जलेबी वाला चौक रख दिया, जिससे सिख नेता सरदार जस्सा सिंह अहलूवालिया की विरासत को अपमानित किया गया है।

सुखबीर बादल ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार का यह कदम सिख धरोहर का लगातार अपमान है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से अपनी नाराजगी व्यक्त की और इस परिवर्तन का कड़ा विरोध किया। इसके साथ ही, सोशल एक्टिविस्ट डॉ. कुलबीर सिंह बादल ने भी मुख्यमंत्री भगवंत मान को ई-मेल भेजकर इस संबंध में शिकायत की है। उन्होंने आग्रह किया कि इस चौक का नाम फिर से कटड़ा आहलूवालिया रखा जाए। उनका कहना था कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण कदम है जो सिखों और पंजाब के इतिहास को नष्ट करने का प्रयास है।

कटड़ा आहलूवालिया का क्षेत्र अमृतसर में सिख इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इसका नाम महान सिख योद्धा और मिसलदार सरदार जस्सा सिंह अहलूवालिया के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में सिख साम्राज्य के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित है और सिख विरासत का प्रतीक है। सरदार जस्सा सिंह का योगदान अद्वितीय था; उन्होंने न केवल सिखों के बीच एकता को बढ़ावा दिया, बल्कि आक्रमणकारियों से उनके बचाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सरदार जस्सा सिंह अहलूवालिया का जन्म 1718 में हुआ था, और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भाग सिख समुदाय की सेवा में बिताया। 18वीं शताब्दी में, उन्होंने अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ सिखों का नेतृत्व किया और दिल्ली में सिख साम्राज्य की स्थापना में भी योगदान दिया। उन्हें “सुल्तान-ए-कौम” की उपाधि दी गई, जो उनके योगदान को दर्शाता है। कटड़ा आहलूवालिया का क्षेत्र पारंपरिक पंजाबी और सिख संस्कृति का प्रतीक है, जहां पुरानी हवेलियां और ऐतिहासिक बाजार हैं।

यह स्थान न केवल इतिहास का हिस्सा है, बल्कि आधुनिक समय में भी खरीदारी और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। यहाँ विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प और पारंपरिक वस्तुएं उपलब्ध हैं, जो पंजाब की समृद्धि और संस्कृति को दर्शाती हैं। इस विवाद के कारण अब लोग कटड़ा आहलूवालिया की ऐतिहासिकता पर फोकस कर रहे हैं, और यह चर्चा को और भी बढ़ा रहा है कि किस प्रकार नाम परिवर्तन सिख समर्पण और धरोहर को प्रभावित कर सकता है।