जांच अधिकारी के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार

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जांच अधिकारी के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार

जयपुर, 13 सितंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने आपराधिक प्रकरण में जांच अधिकारी एएसआई के खिलाफ निचली अदालत की ओर से की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने मामले में टिप्पणियां करने से पहले निर्धारित मापदंडों को पूरा किया है। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश इस संबंध में एएसआई की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए।

अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की ओर से किसी पर टिप्पणी करने को लेकर तीन पैरामीटर तय किए हैं। इसके तहत संबंधित को बचाव का अवसर मिलना, संबंधित के आचरण से संबंधित साक्ष्य मौजूद होना और आचरण पर टिप्पणी करने की जरूरत होने को लेकर निचली अदालत को देखना होता है। मामले में निचली अदालत ने इन तीनों पैरामीटर को पूरा किया है। वहीं अदालत ने माना की जांच अधिकारी की ओर से की गई लापरवाहीपूर्ण जांच ने सीधे तौर पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष मामले को प्रभावित किया और अदालत को संदेह के लाभ के आधार पर आरोपित को बरी करने के लिए मजबूर होना पडा।

मामले के अनुसार आपराधिक अतिचार के मामले में दर्ज एफआईआर में याचिकाकर्ता एएसआई को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था। मामले में आरोप पत्र पेश होने के बाद निचली अदालत में ट्रायल चली। वहीं बाद में अदालत ने आरोपित को संदेह का लाभ देते हुए जांच अधिकारी के खिलाफ टिप्पणियां की। इन टिप्पणियों को हटाने के लिए एएसआई की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

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