पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) को 2023-24 सत्र की ऑडिट रिपोर्ट ने गंभीर वित्तीय चिंताओं को उजागर किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्वविद्यालय पर 13.53 करोड़ रुपए की ट्यूशन और एडमिशन फीस में वसूली बाकी है। प्रधान निदेशक (ऑडिट) सेंट्रल द्वारा की गई इस रिपोर्ट में कुल 16 वित्तीय मुद्दों का उल्लेख किया गया है। इनमें फीस संकलन, अप्रयुक्त किराए की संपत्तियों के कारण हो रहे नुकसान और पुराने प्रिंटिंग प्रेस के संचालन में असंगतता शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि विश्वविद्यालय की बकाया राशि विशेष रूप से पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में छात्रों से जुड़ी हुई है। यह स्थिति विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिरता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी सलाह दी गई है कि पीयू अपने वार्षिक चुनावों के लिए सीसीटीवी किराए पर लेने के बजाय अपने बुनियादी ढांचे में निवेश करे, जिससे अतिरिक्त खर्चों से बचा जा सके और व्यवस्था में सुधार किया जा सके।
पीयू के पुराने प्रिंटिंग प्रेस की स्थिति पर भी गहरी चिंता जताई गई है। वर्तमान में 127 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 27 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि 2010-11 से अब तक प्रेस के खर्चों में 60.7% की वृद्धि होने के बावजूद, इसका उत्पादन क्षमता में कमी आई है, जो कि चिंता का विषय है। इसके अतिरिक्त, ऑडिट रिपोर्ट ने बिना बजट आवंटन के 8.86 करोड़ रुपए के खर्च को लेकर भी सवाल उठाए हैं, जो कि शोध परियोजनाओं के अग्रिम वित्तपोषण से संबंधित हैं।
इस संदर्भ में, ऑडिट की सिफारिश है कि ऐसे खर्चों पर नियंत्रण रखा जाए और धन आवंटित करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। ये लंबित मुद्दे अब पीयू के लिए प्राथमिकता बन गए हैं, जिनका समाधान करना आवश्यक है ताकि भविष्य में वित्तीय असामान्यताओं से बचा जा सके और एक मजबूत आर्थिक ढांचे का निर्माण हो सके।
इस प्रकार, पंजाब विश्वविद्यालय की ऑडिट रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वित्तीय अनुशासन में सुधार और उचित प्रक्रिया स्थापित करना उनके लिए कितना आवश्यक है। विश्वविद्यालय प्रबंधन को इन सब मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए सुधारात्मक कदम उठाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए ताकि छात्र, कर्मचारी और अन्य हितधारक संतुष्ट रह सकें। इससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को भी बनाए रखने में मदद मिलेगी।