होशियारपुर में शहीद का अंतिम संस्कार: अरुणाचल में ड्यूटी के दौरान दिल का दौरा

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होशियारपुर के दसूहा स्थित शैरक गांव में आज शहीद सुरजीवन सिंह का अंतिम संस्कार पूरी श्रद्धा के साथ किया गया। सुरजीवन सिंह, जो अरुणाचल प्रदेश में 105 आरसीसी ग्रिफ में एमटी ड्राइवर ग्रेड एक के रूप में तैनात थे, एक साहसी और समर्पित सैनिक थे। उनके निधन की खबर से पूरे गांव में शोक का माहौल छा गया, जब यह जानकारी मिली कि उन्हें हार्ट अटैक आया था। सुरजीवन ने अपने पीछे अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़ दिया, जिसके कारण गांववासियों का दुख और भी बढ़ गया।

गांव के सरपंच हरमेश लाल ने सुरजीवन को एक बेहद नेक दिल और मिलनसार इंसान बताया। उन्होंने कहा कि सुरजीवन हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहते थे और उनके अचानक निधन ने सभी को चौंका दिया। सुरजीवन की विनम्रता और उनके जीवंत स्वभाव की वजह से लोग उनसे काफी लगाव रखते थे। इस दुखद घटना ने पूरे समुदाय को एकजुट कर दिया है, और सभी ग्रामवासी मिलकर सुरजीवन के परिवार का सहारा बनने का प्रयास कर रहे हैं।

सुरजीवन के अंतिम संस्कार में भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया और उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीद को पूरे राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई, जो कि उनके और उनके परिवार के प्रति सम्मान और करुणा का प्रतीक था। ग्रामवासियों ने पंजाब सरकार से मांग की है कि सुरजीवन सिंह के परिवार को यथाशीघ्र सहायता प्रदान की जाए, ताकि वे इस कठिन समय में मानसिक और वित्तीय सुरक्षा महसूस कर सकें।

इस दुखद अवसर पर जब गांववासी सुरजीवन के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे थे, यह स्पष्ट था कि सुरजीवन ने अपने जीवन में जो छाप छोड़ी थी, वह कभी भी मिटने वाली नहीं है। उन्होंने अपने कर्तव्यों के प्रति जो निष्ठा दिखाई, वह सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। ग्रामीणों ने यह भी आश्वासन दिया कि वे सुरजीवन के परिवार का पूरी तरह से समर्थन करेंगे और उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे।

सुरजीवन सिंह की शहादत ने सभी को यह याद दिलाया कि हमारे सैनिक हमारे देश की असली ताकत हैं। उनके साहस और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। अंतिम विदाई के दौरान सभी ने यह प्रण लिया कि वे सुरजीवन के परिवार की देखभाल करेंगे और उनकी कुर्बानी को भुलाएंगे नहीं। पूरे गांव ने एक स्वर में यह प्रकट किया कि सुरजीवन सिंह का नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा और उनकी याद हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।