खूंटी में धूमधाम से मनाया गया करमा त्याेहार, ढोल-मांदर की थाप पर खूब झूमे श्रद्धालु
खूंटी, 14 सितंबर (हि.स.)। पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति से झारखंडियों के लगाव और शांति-खुशहाली तथा भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक करमा का त्यौहार शनिवार को जिला मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर शहर के विभिन्न क्षेत्रों सहित आसपास के आदिवासी व सदान बहुल गांवों के अखरा और घरों के आंगन में करम डाली को गाड़कर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई और प्रसाद का वितरण किया गया।
धार्मिक अनुष्ठानों के बाद मांदर ढोल की थाप पर सामूहिक नाच गान का जो दौर शुरू हुआ वह रात्रि पर्यंत जारी रहा। आदिवासियों के अखाड़ों में पाहनों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराये गये, जबकि गैर आदिवासियों(सदानों) के अखड़ा और घरों में पुरोहितों ने पूजा-पाठ कराये। पूर्व वर्षों की भांति इस बार भी शहर के करम अखड़ा में सामूहिक करम महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। सामूहिक करम महोत्सव में सांसद कालीचरण मुंडा, विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, जिला परिषद अध्यक्ष मसीह गुड़िया, सुरजू हस्सा, अनमोल हस्सा, मोदेस्ता टोपनो, शंकर सिंह मुंडा, नरेश तिर्की, संदीप हस्सा, राम मुंडा, कुंवारी होरो, सुनीता गुड़िया, अनूप मुंडा सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के महिला पुरुष व बच्चे और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए। इसके अतिरिक्त बिरसा कॉलेज स्थित आदिवासी छात्रावास सहित अन्य क्षेत्रों में भी करमा का त्योहार उल्लास पूर्ण वातावरण में धूमधाम से मनाया गया।
सरना धर्म सोतोरू समिति केंद्र डौगड़ा सहित समिति के अन्य शाखाओं में करम पर्व हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। डौगड़ा के सरना में धर्मगुरु बगराय ओड़ेया और धर्मगुरु टूटी ओड़ेया की अगुवाई में पूजा पाठ कर सिङबोंगा से सुख, शांति और खुशहाली की कामना की गई। इस अवसर पर धर्मगुरु सोमा कंडीर ने कहा कि करम केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि यह अपने कर्मों के प्रति आत्म चिंतन मंथन तथा विचार करने का अवसर है। परिषद अध्यक्ष मसीह गुड़िया सिंङबोंगा से आशीर्वाद लिए और सबको करम की शुभकामनाएं दिए।
मौके पर धर्मगुरु बगरय मुंडा ने अपने संदेश में कहा कि करम न केवल एक त्योहार है, बल्कि यह अपने कर्मों के प्रति आत्मचिंतन- मंथन तथा विचार करने का अवसर है। हमें जीवन में धर्म के अनुसार काम करना चाहिए क्योंकि धर्म की हमेशा जीत होती है। उन्होंने आगे कहा कि त्यौहार से समाज में प्रेम व भाईचारा बढ़ता है। समाज से ऊंच नीच, लोभ लालच व अहंकार जैसी बुराइयां दूर होती है और समाज में सुख शांति और खुशहाली आती है।
—————