लुधियाना के जगराओं गांव में बायो गैस फैक्ट्रियों की स्थापना के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया है। गांव के निवासियों का कहना है कि इन फैक्ट्रियों के कारण उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसी विरोध में कुछ समय बाद धरने को सांकेतिक रूप से शक्ति देने के लिए स्थानीय लोगों ने ट्रालियां और अन्य मशीनों का सहारा लेकर रास्ता अवरुद्ध कर दिया। इस दौरान सुनने में आया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने की योजना बनाई थी, लेकिन गांव के लोगों ने सतनाम वाहेगुरू का पाठ करके साहस जुटाया। प्रदर्शनकारियों के जज़्बे को देखते हुए, पुलिस ने अपने लाठीचार्ज के निर्णय को वापस ले लिया।
धरने के दौरान, कई पुलिस अधिकारी स्थिति को जानने के लिए वहां बार-बार आते रहे। कमलजीत खन्ना, जो कि एक किसान नेता हैं, ने बताया कि सरकार ने पहले ही उनको आश्वासन दिया था कि वे ग्रामीणों के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगी। लेकिन अब सरकार ने हाईकोर्ट का सहारा लेकर स्थिति को और भी जटिल कर दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर आरोप लगाया कि पुलिस के माध्यम से ग्रामीणों को डराने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बावजूद गांव वाले अपनी स्थिति को लेकर दृढ़ हैं और किसी भी कीमत पर इन फैक्ट्रियों का विरोध करने के लिए तैयार हैं।
ग्रामीणों ने शिकायत की कि पिछले कुछ महीनों से लुधियाना जिले के गांव अखाड़ा में निर्माणाधीन कैंसर फैक्ट्रियों के प्रति व्यापक आक्रोश फैल चुका है। किसान नेता खन्ना का कहना है कि सरकार व संबंधित मंत्रियों के साथ कई बैठकों का आयोजन हुआ, लेकिन हर बार नतीजा नकारात्मक ही रहा। अब ग्रामीण और सरकार आमने-सामने खड़े हैं। गांव वालों का दृढ़ विश्वास है कि यदि ये फैक्ट्रियां लगती हैं, तो यह उनकी स्वस्थ जीवनशैली के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगा।
धरने के दौरान, ग्रामीणों ने अपने रोजमर्रा के कार्यों को निभाते हुए एकजुटता का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने नाश्ता करने के लिए भी समय निकाला, जिसमें गांव की महिलाएं रोटियां बनाती रहीं और बच्चे प्रसाद बांटते रहे। इस प्रकार का समर्पण दर्शाता है कि गांव के लोग अपने अधिकारों के लिए कितने गंभीर हैं और वे किसी भी स्थिति में अपने धरने को समाप्त करने का इरादा नहीं रखते।
सरकार के साथ बातचीत में, दोनों पक्षों के विशेषज्ञों की एक जांच कमेटी 21 सितंबर तक बैठकें जारी रखने का निर्णय लिया गया है। लेकिन इससे पहले, किसानों को यह लगा कि सरकार फैक्ट्री मालिकों के पक्ष में अपनी योजना को आगे बढ़ा रही है। खन्ना ने कहा कि चाहे पुलिस का बल कितना भी प्रचंड हो, ग्रामीण अपनी लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे। उनका मानना है कि बिमारियों से मरने का सामना करने की बजाय, वे पुलिस की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हैं। इस प्रकार, लुधियाना का यह मामला स्पष्ट करता है कि ग्रामीण अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।