पंजाब के जगराओं शहर में स्थित सिटी यूनिवर्सिटी में एक दुखद घटना घटी, जब एक बीए की छात्रा ने चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। यह घटना गांव चौकी मान के पास हुई, जिसने यूनिवर्सिटी परिसर में भारी अफरा-तफरी मचाई। छात्रा का सिर सीधे जमीन पर गिरा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। छात्रा की पहचान 20 वर्षीय किरनदीप कौर के रूप में हुई, जो मोगा जिले के धर्मकोट में चक्क कनिया कलां की निवासी थीं।
मौके पर मौजूद सूत्रों के अनुसार, किरनदीप कौर ने यूनिवर्सिटी में प्रवेश करने के थोड़ी देर बाद ही छत पर जाने का निर्णय किया। वहां से कूदने के बाद सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि कोई उसे रोक नहीं पाया। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में ले लिया और मामले की जांच शुरू कर दी। यूनिवर्सिटी में मौजूद लोगों का कहना है कि छात्रा लंबे समय से मानसिक अवसाद से ग्रस्त थी, और उसके इलाज के लिए डीएमसी लुधियाना में उपचार चल रहा था। इस दिन जब वह यूनिवर्सिटी आई थी, तब वह कुछ चिंतित नजर आ रही थी।
किरनदीप के पिता, सुरजीत सिंह ने बताया कि उनकी बेटी का इलाज चल रहा था और वह अब ठीक हो गई थी। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में दो बच्चे हैं, एक बेटी और एक बेटा। घटना के समय जब सुरजीत को यूनिवर्सिटी से फोन आया कि उनकी बेटी गिर गई है, तो उन्होंने तुरंत कहा कि उसे डीएमसी लुधियाना ले जाएं। जब वह सरकारी अस्पताल जगराओं पहुंचे, तब उन्हें दुःखद समाचार मिला कि उनकी बेटी की मृत्यु हो चुकी है।
किरनदीप की मां का हाल अत्यंत भावुक था। उन्होंने अस्पताल में अपनी बेटी के शव को देखकर बेहोशी की स्थिति में जा पहुंचीं। वह निरंतर यही कहती रहीं कि अगर वह अपनी बेटी को कॉलेज नहीं भेजतीं, तो आज उनकी बच्ची जिंदा होती। यह घटना न केवल परिवार के लिए एक बड़ा सदमा है, बल्कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता को भी दर्शाती है। तनाव और अवसाद के कारण आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और इससे निपटने के लिए सही समय पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
इस घटना से पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं की अनदेखी न केवल व्यक्ति बल्कि उनके परिवार को भी गंभीर जोखिम में डालती है। स्कूलों और कॉलेजों को ऐसे मामलों को जानने और निपटने के लिए उचित उपाय करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे दुखद घटनाओं से बचा जा सके। छात्रों के लिए समर्थन प्रणाली का निर्माण होना बहुत जरूरी है, ताकि वे अपने मानसिक तनाव को साझा कर सकें और सही दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।