करनाल पहुंचे पूर्व सीएम चन्नी: भाजपा शासन में हरियाणा 10 साल पीछे – तंज कसा!

Share

हरियाणा के करनाल में गुरुवार को कांग्रेस प्रत्याशी सुमिता सिंह के प्रचार के लिए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीति और कामकाज पर तीखा हमला बोला। चन्नी ने कहा कि बीजेपी उच्च स्तरीय पदों पर भर्ती के मामले में अनुचित तरीके अपनाकर एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करना चाहती है। उनकी मान्यता है कि भाजपा जानबूझकर इन्हें बैक डोर एंट्री के जरिए नकारात्मक प्रभाव में लाने का प्रयास कर रही है।

चन्नी ने भारत में बढ़ती सामाजिक असमानता का उल्लेख करते हुए कहा कि भाजपा के शासनकाल में गरीब वर्ग के लोग और गरीब हो गए हैं, जबकि अमीरों की स्थिति और बेहतर हुई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में भाजपा की नीतियों के कारण पिछले 10 सालों में राज्य की प्रगति रुक गई है। उनके अनुसार, किसानों, श्रमिकों और व्यापारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अब बदलाव की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने साफ किया कि बीजेपी और आरएसएस ने कभी भी आरक्षण को समर्थन नहीं दिया और वे इसे समाप्त करने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं।

चन्नी ने अपने बयान में कहा कि यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल जाता, तो आरक्षण खत्म होने से कोई नहीं बचता। उन्होंने संविधान में बदलाव की कोशिशों के खिलाफ कांग्रेस के दृढ़ नायकत्व को दोहराया और कहा कि इस तरह के प्रयास स्वीकार नहीं किए जाएंगे। किसानों के मुद्दे पर चन्नी ने कहा कि अंबाला में किसानों का रास्ता रोका जाना बेहद निंदनीय है। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार तो दुश्मन भी नहीं करते, और कांग्रेस सत्ता में आने पर किसानों के रास्ते को खुला किया जाएगा।

इस अवसर पर चन्नी ने न केवल कृषि संकट, बल्कि रोजगार की समस्या पर भी जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस कच्ची नौकरियों की कोई व्यवस्था नहीं बनाएगी। उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर युवा और नागरिक को स्थायी और पक्की नौकरी मिले। चन्नी की बातों से स्पष्ट होता है कि कांग्रेस आने वाले चुनावों में युवा और किसानों के मुद्दों पर सर्वोच्च प्राथमिकता देने की योजना बना रही है।

चन्नी का यह अभियान उस समय हो रहा है जब हरियाणा में चुनावी गतिविधियां तेज हो गई हैं और कांग्रेस पार्टी इस बार अपने मुद्दों को मजबूती से उठाने की कोशिश कर रही है। उनकी आलोचना और आक्रामक रुख से यह स्पष्ट है कि वे भाजपा के खिलाफ एक सशक्त विपक्ष के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। इस बार का चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय की आधिकारिकता का माध्यम बन सकता है।