पंजाब में 15 अक्टूबर को होने वाले पंचायत चुनावों से पहले, अमृतसर के जठौल गांव में एक अनूठी घटना घटित हुई है। यहाँ गांव के लोगों ने पारस्परिक प्रेम और एकता के साथ, गुरु साहिब की उपस्थिति में युवा नेता गुरसिमरन सिंह को सर्वसम्मति से सरपंच चुन लिया। यह निर्णय न सिर्फ गांव की पंचायत के लिए, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। गांव के लोग जब गुरु के दरशन के लिए आए, तब उन्होंने गुरसिमरन सिंह को बधाई देते हुए उनका सम्मान किया, जो कि इस चुनाव प्रक्रिया का एक अत्यधिक खुशनुमा पहलू था।
नवनिर्वाचित सरपंच गुरसिमरन सिंह ने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए गांववासियों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह गर्व का क्षण है कि मुझे गुरु साहिब की उपस्थिति में आप सभी का समर्थन प्राप्त हुआ।” उन्होंने यह भी बढ़ाया कि वह पूरे समर्पण के साथ गांव के विकास के लिए कार्य करेंगे। गुरसिमरन सिंह ने आने वाले विकास कार्यों की चर्चा की, जिसमें एक नया स्कूल मैदान और श्मशान घाट का निर्माण शामिल है। उनका लक्ष्य गांव में समग्र विकास को सुनिश्चित करना है।
गुरसिमरन सिंह ने यह भी बताया कि यह चुनाव प्रक्रिया गुटबंदी के भंवर से हटकर एक सकारात्मक कदम है, जो न केवल समय बल्कि धन की बचत करता है। उन्होंने कहा, “सरपंच बनना चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि हम बिना किसी दबाव के गांव की भलाई में योगदान कर सकें।” उनका यह कथन दरअसल, पंचायत चुनावों में पारदर्शिता और नैतिकता की आवश्यकता को दर्शाता है।
ग्राम पंचायत के अन्य निर्वाचित सदस्यों ने भी इस मौके पर गांव के लोगों का तहे दिल से धन्यवाद किया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे सभी मिलकर गांव के विकास में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। सदस्यों ने कहा कि यह एक नई शुरुआत है, जहाँ सभी मिलकर गांव के उत्थान के लिए योजनाएं बनाएँगे और कार्य करेंगे। ग्रामीणों के समर्थन और सहयोग के बिना यह संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने गांववासियों का आभार जताया।
यह घटना न सिर्फ जठौल गांव के लिए एक प्रेरणा बन गई है, बल्कि यह आसपास के अन्य गांवों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है कि यदि सभी लोग एक साथ मिलकर सोचें और कार्य करें, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। यह सामूहिक प्रयास न केवल पंचायत के चुनाव में, बल्कि गांव के हर विकास कार्य में देखा जा सकता है। सभी ने मिलकर एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि गांव की आवाज में सामूहिकता और एकजुटता का कितना महत्व है।