स्वाति मालीवाल केस में बिभव कुमार की याचिका पर दूसरी बेंच करेगी सुनवाई

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नई दिल्ली, 31 मई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट के आरोपित बिभव कुमार की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई योग्य है कि नहीं इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। हाई कोर्ट पहले तय करेगा कि बिभव की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं।

आज ये याचिका जस्टिस नवीन चावला की बेंच के समक्ष लिस्ट हुई थी। याचिका को दूसरी बेंच के पास भेजते हुए जस्टिस चावला ने कहा कि यह मामला एमपी-एमएलए की बेंच सुनवाई करेगी। जस्टिस नवीन चावला ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता एक सांसद है। ऐसे मे आप एमपी-एलए कोर्ट के पास जाएं।

सुनवाई के दौरान बिभव के वकील एन हरिहरन ने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी को यह देखना चाहिए था कि उसमें गिरफ्तारी की जरूरत है या नहीं, उसके बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अर्नेश कुमार के फैसले के आधार पर गिरफ्तारी को चुनौती दी जा सकती है। बिभव के वकील ने कहा कि गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी के आधार और वजह आरोपित को नहीं बताया गया। गिरफ्तारी के आधार को लिखित में दर्ज करना है। अपराध प्रक्रिया की धारा 41ए के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है।

बिभव कुमार ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए मुआवजे की मांग की है। बिभव कुमार ने कहा है कि उनकी गिरफ्तारी करते समय अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए का पालन नहीं किया गया है। बिभव कुमार फिलहाल पुलिस हिरासत में है।

28 मई को तीस हजारी कोर्ट ने बिभव कुमार को तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था। 27 मई को कोर्ट ने बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान स्वाति मालीवाल ने कोर्ट में कहा था कि एक बहुत बड़ा यूट्यूबर है, जो पहले आम आदमी पार्टी का वालंटियर था, उसने एकतरफा वीडियो बनाया। उसके बाद मुझे लगातार जान से मारने और रेप की धमकी के फोन आने लग गए। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि पीड़ित महिला की छवि बहुत अच्छी है। उस अकेली महिला को आरोपित द्वारा मारा जा रहा है। उसे छाती और गर्दन पर मारा गया, उसे घसीटा गया, जिस दौरान उसका सिर सेंटर टेबल से टकरा गया। यह सवाल नहीं है कि क्या इससे उसकी मौत नहीं हो सकती। आप एक महिला को इस तरह से मार रहे हैं कि उसका बटन खुल गया।

उन्होंने कहा था कि एक सवाल है कि वह मौजूदा सांसद हैं। वह दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन रह चुकी हैं। आम आदमी पार्टी स्वाति को लेडी सिंघम कहती थी। जब कोई महिला संकट में होती है तो वह स्वाति को बुलाती है और यहां कहा जा रहा है कि वह बिभव कुमार की छवि खराब करने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत वहां गई थी।

दिल्ली पुलिस ने कहा था कि एक सांसद मुख्यमंत्री से मिलने जा रही हैं लेकिन मुख्यमंत्री से मिलने के लिए बिभव की अनुमति की आवश्यकता है। सुरक्षाकर्मी कहते हैं कि मिलने के लिए बिभव की अनुमति की आवश्यकता है। वास्तव में बिभव को वहां रहने का कोई अधिकार नहीं था। उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। क्या मालीवाल जो कि एक ऐसे व्यक्ति की छवि खराब करेंगी, जो कि स्थायी कर्मचारी भी नहीं है। बिभव की तरफ से वकील हरिहरन ने कहा कि जो भी सीसीटीवी का डीवीआर था वो पुलिस ने अपने कब्जे मे ले लिया किसी भी सबूत से छेड़छाड़ नहीं हुई है।

दिल्ली पुलिस ने 18 मई को बिभव कुमार को गिरफ्तार किया था। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि एफआईआर में स्वाति ने ख़ुद साफ किया कि उसने पुलिस को अप्रोच करने में देरी क्यों की। वो इस घटना के बाद ट्रॉमा में थी इस वजह से देरी हुई। उधर, बिभव के वकील ने कहा था कि सीसीटीवी फुटेज में कहीं भी स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट की पुष्टि नहीं होती है। उन्होंने कहा था कि अगर पुलिस को शिकायत देने में भी तीन दिन लग रहे हैं तो यह साफ है कि इस दौरान स्वाति साजिश रच रही थीं।

इस मामले में स्वाति मालीवाल ने 17 मई को कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया था। घटना 13 मई की है। दिल्ली पुलिस ने 16 मई को स्वाति मालीवाल का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज की थी।