नई दिल्ली, 08 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने वकील जय अनंत देहादराय की मानहानि याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर देहादराय ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए हैं तो तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को भी अपने ऊपर लगे आरोपों का सार्वजनिक रूप से बचाव करने का अधिकार है। जस्टिस प्रतीक जालान ने सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी करके मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को करने का आदेश दिया।
हाई कोर्ट ने कहा कि कोई भी निरोधात्मक आदेश जारी करने से पहले हमें ये देखना होगा कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी पर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए हैं कि नहीं। अगर ऐसा होगा तो महुआ मोइत्रा को सार्वजनिक रूप से अपने को बचाव करने के अधिकार से वंचित नहीं कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि अनंत देहादराय और महुआ मोइत्रा के बीच सार्वजनिक बयानबाजी काफी निचले स्तर तक पहुंच गई।
हाई कोर्ट ने 20 मार्च को महुआ मोइत्रा को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि इस मामले में दोनों पक्षकार बराबर के भागीदार हैं और कोई ये दावा नहीं कर सकता है कि वो पीड़ित या पीड़ादायक। देहादराय ने अपनी याचिका में महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया है कि वो उनके खिलाफ मानहानि वाले बयान देती हैं। देहादराय ने महुआ मोइत्रा के बयान मीडिया में छापने पर भी रोक लगाने की मांग की। हालांकि, हाई कोर्ट ने देहादराय की अंतरिम राहत की मांग पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया और महुआ मोइत्रा को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने एक्स, गूगल और दूसरे मीडिया घरानों को भी नोटिस जारी किया।
देहादराय और महुआ मोइत्रा रिलेशनशिप में थे, जो बाद में अलग हो गए। देहादराय की शिकायत पर ही महुआ मोइत्रा को संसद से पहले निलंबित किया गया और बाद में संसद की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया। देहादराय ने आरोप लगाया था कि व्यापारी दर्शन हीरानंदानी ने संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लिए थे।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर से महुआ मोइत्रा की शिकायत की थी। देहादराय की याचिका में कहा गया है कि उनकी शिकायत के बाद महुआ मोइत्रा ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया समेत मेनस्ट्रीम मीडिया में अपमानजनक बयान जारी किए। महुआ ने उन्हें जॉबलेस और जिल्टेड शब्द का इस्तेमाल किया। इससे उनके प्रोफेशनल करियर पर असर पड़ा।