नई दिल्ली, 08 अप्रैल (हि.स.)। आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच 9 अप्रैल को फैसला सुनाएंगी। कोर्ट ने 3 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि कोर्ट को यह देखना होगा कि चुनाव में सभी पार्टियों को बराबर का मौका मिले। यहां चुनाव में हिस्सा लेने से रोका जा रहा है और पार्टी को तोड़ने की कोशिश हो रही है। इस मामले में समय का मुद्दा बहुत गंभीर है। समय का मुद्दा यह सुनिश्चित करता है कि याचिकाकर्ता लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाएगा और उसकी पार्टी नष्ट हो जाएगी। सिंघवी ने कहा था कि ईडी स्पष्ट रूप से बिना किसी पूछताछ, बयान आदि के गिरफ्तारी कर रही है। केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग ही ईडी की मंशा पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त हैं, क्योंकि ईडी का पहला समन अक्टूबर में जारी किया गया था और केजरीवाल की गिरफ्तारी 21 मार्च में की गई है।
सिंघवी ने कहा था कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 15 और 19 में दिए गए प्रावधानों पर यह गिरफ्तारी खरा नहीं उतरती। इसके अलावा ईडी के पास मनी लांड्रिंग कानून के तहत गिरफ्तारी के लायक कोई सबूत भी नहीं है। सिंघवी ने कहा था कि पहले समन और गिरफ्तारी के बीच केजरीवाल का बयान दर्ज नहीं किया गया और बिना बयान को दर्ज किए इस केस में गिरफ्तारी की गई है। केजरीवाल को भेजे गए पहले और आखिरी समन में इतना अंतर था तो आखिर इस मामले में जल्दबाजी की जरूरत क्या थी।
सिंघवी ने कहा था कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 45 के मुताबिक ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ ऐसा कोई सबूत मौजूद नहीं है। इसके अलावा धारा 19 के तहत न तो गिरफ्तारी का आधार और न ही सबूत मौजूद है। फिर भी आप केजरीवाल को दोषी मानकर चल रहे हैं। ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए तो केजरीवाल की गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है।
ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि केजरीवाल की याचिका गिरफ्तारी को रद्द करने की मांग पर है लेकिन यह समझ नहीं आ रहा है कि इनके वकील ने बहस जमानत की कर रहे हैं या मुकदमे को रद्द करने की। राजू ने कहा था कि निचली अदालत में केजरीवाल खुद कह चुके हैं कि कोर्ट चाहे तो उन्हें रिमांड पर भेज दे लेकिन यहां पर वो खुद रिमांड पर भेजे जाने के आदेश को चुनौती नहीं दे रहे हैं। यह अरविंद केजरीवाल का दोहरा रवैया है।
राजू ने कहा था कि केजरीवाल ने रिमांड को चुनौती देने की आड़ में जमानत याचिका दायर की है। उनकी यह याचिका कुछ और नहीं बल्कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 45 से बचने के लिए जमानत याचिका है। राजू ने कहा था कि अगर रिमांड पर भेजे जाने के पहले आदेश और गिरफ्तारी को हाई कोर्ट रद्द भी कर दे तब भी निचली अदालत के रिमांड पर भेजे जाने के बाद के दो आदेश कायम रहेंगे, क्योंकि उन्होंने यहां चुनौती ही नहीं दी है।
सुनवाई के दौरान राजू ने कहा था कि अगर लाश न मिले तो क्या कत्ल का मुकदमा नहीं चलता। कई ऐसे मामलों में लोगों को सजा मिली है। मान लीजिए कि कोई राजनीतिक व्यक्ति चुनाव से दो दिन पहले हत्या कर देता है तो क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। क्या उसकी गिरफ्तारी से बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचेगा। आप हत्या करते हैं और कहते हैं कि मुझे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होगा।
केजरीवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1 अप्रैल को केजरीवाल को 15 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में भेजा था।