नई दिल्ली, 12 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रूकॉलर के खिलाफ यूजर्स की निजता के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन और मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया।
कोर्ट ने कहा कि इसके पहले याचिकाकर्ता ने ऐसी ही याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते समय हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि फोन और ई-मेल एड्रेस की जानकारी सार्वजनिक हो रही है। पहले भी टेलीफोन डायरेक्ट्री में लोगों के फोन नंबर छपते थे। ये एक सुविधा है।
यह याचिका अजय शुक्ला ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि ट्रूकॉलर लोगों की निजता का हनन करता है। ये लोगों की बिना सहमति के उनकी सूचना किसी तीसरे पक्ष को बेचता है। ट्रूकॉलर फोन में इंस्टॉल करने के बाद वो फोन नंबर का एक्सेस कर लेता है और इस तरह वो लोगों के ई-मेल एड्रेस, पता समेत दूसरी सूचनाओं को साझा करता है।
याचिका में कहा गया था कि ट्रूकॉलर की वजह से लोगों की छवि खराब होती है, क्योंकि कई फोन नंबरों को स्पैम भी मार्क कर दिया जाता है। सुनवाई के दौरान ट्रूकॉलर की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है और सुप्रीम कोर्ट उसे खारिज कर चुकी है। उसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया।