रेडियो की खनक सदैव रहेगी बरकरार?

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विश्व रेडियो दिवस (13 फरवरी) पर विशेष

डॉ. रमेश ठाकुर

इसमें दो राय नहीं कि सूचना-मनोरंजन की पारंपरिक उपाधि सदैव रेडियो के हिस्से ही रहेगी। आज का दिन रेडियो के लिए खास है। क्योंकि समूचा संसार आज ‘विश्व रेडियो दिवस’ मना रहा है। रेडियो की अहमियत मानव जीवन से कितना वास्ता रखती है, जिसका अंदाज मौजूदा वर्ष-2024 की थीम से लगा सकते हैं। इस बार की थीम ‘सूचना देने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने वाली एक सदी’ रखी गई है जिसका उद्देश्य रेडियो के उल्लेखनीय अतीत, प्रासंगिक वर्तमान और गतिशील भविष्य पर व्यापक प्रकाश डालना। ये सच है कि सूचना यो मनोरंजन विधाओं में चाहे कितने ही साधन क्यों न उपलब्ध जाएं। पर, रेडियो की अहमियत और उसकी प्रासंगिकता कभी भी कम नहीं होगी। विश्व रेडियो दिवस सालाना 13 फरवरी को मनाया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिसे यूनेस्को ने अपने 36 वें वार्षिक सम्मेलन से मनाने का निर्णय लिया था। 13 फरवरी ही वह तारीख थी जो 1946 में अमेरिका में पहली बार रेडियो ट्रांसमिशन से संदेश भेजा गया था और संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई. इसलिए संयुक्त राष्ट्र रेडियो की वर्षगांठ के दिन से ही वर्ल्ड रेडियो डे मनाने का चलन आरंभ हुआ। विश्व के ऐसे कई छोटे मुल्क जो अब भी काफी पिछड़े हुए हैं, वो सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिहाज से आधुनिक युग में भी रेडियो पर ही निर्भर हैं।