04HREG68 राम वनगमन का दृश्य देख छलक उठी दर्शकों की आंखें
– आठ दिवसीय रामलीला के चौथे दिन राम वनगमन का भावपूर्ण मंचन
मीरजापुर, 04 नवम्बर (हि.स.)। विंध्याचल के मोतीझील मार्ग स्थित भंडारा स्थल परिसर में विंध्य प्राचीन रामलीला समिति द्वारा आयोजित आठ दिवसीय रामलीला के चौथे दिन राम वनगमन का भावपूर्ण मंचन किया गया। साथ ही लक्ष्मण-परशुराम संवाद, कैकई-मंथरा संवाद को देख दर्शक भाव विभोर हो गए।
श्रीराम और सीता के विवाह के बाद अयोध्या पहुंचे। राम के राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थी तभी कैकई की दासी मंथरा ने उन्हें राम वन गमन का वरदान मांगने के लिए प्रेरित किया। उधर राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर राम को राजा बनाने की घोषणा करते हैं। दासी मंथरा रानी कैकई के कान भरती है। उसकी बातों में आकर कैकई कोप भवन में चली जाती है और राजा दशरथ अपने दो वचनों की याद दिलाती है। कहती हैं कि उनके पुत्र भरत को राजगद्दी और राम को चौदह वर्ष क वनवास दिया जाए। राम को वन और भरत को राजगद्दी की जानकारी माता कौशल्या को हुई तो वह बेचैन हो उठी। महल और अयोध्या में राम वनगमन की खबर फैलते ही खुशी का माहौल शोक में बदल गया। रानी की बात सुनकर राजा दशरथ अचेत हो उठे। होश आने पर राम को संदेशा भिजवाते हैं। पिता की आज्ञा पाकर राम, सीता व लक्ष्मण वन को प्रस्थान कर जाते हैं। रामलीला मंचन के दौरान वनगमन की भावपूर्ण दृश्य देख दर्शकों की आंखें छलक उठी और पंडाल में श्रीराम के जयकारे गूंजने लगे। इसके पूर्व प्रभु श्रीराम की भव्य बारात संपूर्ण विंध्याचल क्षेत्र में भ्रमण किया। श्रीराम का दर्शन पाकर लोग विभोर हो उठे।