भगवान धन्वंतरि नारायण के अवतार एवं औषधि के जनक : सुरेश त्रिपाठी

Share

प्रयागराज, 10 नवम्बर (हि.स.)। भगवान धन्वंतरि को नारायण का ही अवतार माना गया है। वह औषधि के जनक हैं। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। सृष्टि में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि के अवतार में जन्म लिया था।

यह बातें मुख्य वक्ता सुरेश चन्द्र त्रिपाठी ने भगवान धनवन्तरी के बारे में बच्चों को बताते हुए कही। सिविल लाइन स्थित ज्वाला देवी इण्टर कॉलेज में दीपावली अवकाश के पूर्व शुक्रवार को धनवन्तरी जयन्ती मनाई गई। इस अवसर पर भगवान धनवन्तरी की प्रतिमा पर दीपार्चन एवं पुष्पार्चन कर शुभारम्भ किया गया।

तत्पश्चात् भगवान राम एवं दीपोत्सव से सम्बंधित भैया-बहनां ने अपने विचार व्यक्त किये। विद्यालय के प्रधानाचार्य विक्रम बहादर सिंह परिहार ने सभी को पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व की शुभकामनायें देते हुये कहा कि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, धन्वंतरि भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 12वें अवतार हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि की चार भुजाएं हैं। एक हाथ में शंख, दूसरे में कलश और तीसरे हाथ में जड़ी बूटी एवं चौथे में आयुर्वेद ग्रंथ है। धनतेरस को भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

विद्यालय में रंगोली प्रतियोगिता का भी अयोजन किया गया। इस रंगोली प्रतियोगिता का निरीक्षण संगठन मंत्री डॉ राममनोहर, प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी, क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय, प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह द्वारा किया गया।