मप्रः दीपावली पर बाजारों में उमड़ी भीड़, रात में शुभ मुहूर्त में घर-घर होगी महालक्ष्मी की पूजा

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भोपाल, 12 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। रविवार को सुबह से लोग अपने घरों को सजाने में जुटे हैं। वहीं, मिठाइयों से लेकर सभी जरूरी और सजावट का सामान की जमकर खरीदारी की जा रही है। बाजारों में सुबह से देर शाम तक भारी भीड़ रही। वहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन कर्मस्थली पवित्र नगरी चित्रकूट धाम में परंपरागत रूप से आयोजित पांच दिवसीय दीपावली मेले में रविवार को दूरदराज से लाखों श्रद्धालु पहुंचे और कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा कर कामतानाथ के दर्शन किए।

राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के सभी शहरों और नगरों में दीपावली का पर्व पारम्परिक रूप से मनाया जा रहा है। बाजर में लाइटों व दीयों की जमकर खरीदारी हो रही है। पहले के समय पारंपरिक दीये का ही प्रयोग किया जाता था, लेकिन बदलते समय के साथ फैशनेबल दीयों का चलन आ गया है। लोगों की मांग के अनुसार बाजार में डिजाइनर दीये उपलब्ध हैं। वहीं, विभिन्न सजावटी वस्तुओं से बाजार की रौनक को चार गुना बढ़ा दिया है। दीपावली पर महिलाओं और बालिकाओं ने घरों के आंगन में खूबसूरत रंग-बिरंगी रंगोलियां बनाई तो वहीं पुरुषों ने आकर्षक लाइटिंग से घरों को सजाया है।

इधर, पटाखा बाजारों में भी भारी उमड़ रही है। इस साल कई प्रकार के पटाखे बाजार में आए हुए हैं। पांच रुपये से शुरू होकर ये पटाखे 5000 रुपये तक के हैं। भोपाल के बैदागढ़ में पटाखों का एक बड़ा बाजार लगता है, जहां पर आपको हर प्रकार के नए पटाखे मिल जाएंगे। अलग-अलग आवाज के साथ रंग बिरंगे पटाखे आए हुए हैं, जो बच्चों को बहुत पसंद आ रहे हैं। इस बार बाजार में इको फ्रेंडली पटाखे लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं।

रविवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त से नरक चौदस यानी रूप चतुर्दशी पर शरीर में तेल, बेसन का उबटन लगाकर स्नान करने की परंपरा निभाई गई, वहीं रात्रि में अमावस्या तिथि पड़ने से प्रदोष काल में माता लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा। इस बार दीपावली पर आयुष्मान और सौभाग्य योग का संयोग बना है।

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का संहार करके 16 हजार 108 कन्याओं को मुक्त कराया था। राक्षस का संहार करने के पश्चात श्रीकृष्ण के शरीर से रक्त साफ करने तेल, चंदन, सुगंधित द्रव्यों का लेप किया गया था। इसी परंपरा का पालन करते हुए चतुर्दशी तिथि पर रूप निखारने के लिए उबटन लगाकर स्नान किया जाता है।

महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला ने बताया कि रात्रि में महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। घर-घर में द्वार पर दीप प्रज्वलित करके माता लक्ष्मी को आमंत्रित किया जाएगा। द्वार से लेकर पूजा स्थल तक माता लक्ष्मी के चरण चिन्ह अंकित किया जाएगा। शाम से रात्रि 10 बजे तक गृहस्थजन और रात्रि में व्यापारी वर्ग के लिए पूजन करना शुभदायी होगा।

उन्होंने बताया कि दीपावली के दूसरे दिन 13 नवंबर को दोपहर तक अमावस्या तिथि है। इस दिन सोमवार होने से सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है। वहीं, 14 नवंबर को घर-घर में गोवर्धन पूजा की परंपरा निभाई जाएगी। गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजन किया जाएगा। दोपहर पश्चात विविध मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित करके अन्नकूट की प्रसादी स्वरूप भोजन कराया जाएगा।

इधर, 15 नवंबर को भैया दूज पर्व पर बहनें अपने भाइयों के ललाट पर तिलक लगाकर सुख, समृद्धि और लंबी आयु की कामना करेंगी।