शाजापुर: विभिन्न मांगों को लेकर स्कूल संचालकों ने एकजुट होकर किया सांकेतिक शक्ति प्रदर्शन

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18HREG313 शाजापुर: विभिन्न मांगों को लेकर स्कूल संचालकों ने एकजुट होकर किया सांकेतिक शक्ति प्रदर्शन

शाजापुर, 18 सितंबर (हि.स.)। विगत लंबे समय से सरकार से की जा रही मांगों को लेकर सोमवार को जिले भर के निजी स्कूल संचालकों ने स्कूलों की तालाबंदी करते हुए एकजुट होकर शक्ति प्रदर्शन किया। स्कूल संचालकों का यह सांकेतिक प्रदर्शन पूरी तरह सफल रहा, क्योंकि इसमें शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण अंचलों के सभी छोटे-बड़े स्कूल संचालकों ने भागीदारी करते हुए जिम्मेदारों के समक्ष अपनी समस्याओं को रखने का प्रयास किया।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के समस्त अशासकीय शाला संगठनों के संयुक्त आह्वान पर 18 सितंबर सोमवार को जिले के समस्त अशासकीय स्कूल संचालकों ने सांकेतिक हड़ताल का समर्थन करते हुए स्कूलों की तालाबंदी का निर्णय लिया था। जिसके अंतर्गत सोमवार को जिले के समस्त निजी स्कूल बंद रहे और संचालकों ने लालघाटी स्थित जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर जिला कलेक्टर किशोर कन्याल को मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए अपनी मांगों के संबंध में अवगत कराया। सोसाइटी फॉर प्राइवेट स्कूल संचालक तथा अशासकीय शिक्षण संस्था के बैनरतले कलेक्टर को संयुक्त रूप से सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से स्कूल संचालकों द्वारा मांग की गई कि तीन साल स्कूल संचालन के बाद स्थाई मान्यता प्रदान की जाए, सत्र 2022 – 23 की आरटीई की राशि इसी माह 25 सितंबर 2023 तक जारी की जाए, शिक्षण सत्र 2016 से 2021 तक पुनः प्रपोजल बनाने के लिए पोर्टल खोले जाएं एवं जो बच्चे अपात्र किये गये हैं, जिन्हें स्कूल से हटाया गया है तथा जिन बच्चों के प्रपोजल नहीं बन पा रहे हैं उनका भौतिक सत्यापन कराकर आरटीई का भुगतान किया जाए, सरकार द्वारा अपनी भेदभाव नीति वापिस लेने और शासकीय व अशासकीय स्कूलों के बच्चों को एकरूपता से देखते हुए प्राइवेट स्कूलों के टॉपर बच्चों को भी स्कूटी प्रदान की जाए, प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को भी मेडिकल में 5% की छूट प्रदान की जाए, मप्र के प्राइवेट स्कूलों की समस्या के लिये एक स्थाई समिति बनाई जाए जिसमें पांच सदस्य अशासकीय संयुक्त मोर्चे के शामिल किए जाएं, कक्षा 1 से 12 तक पूर्ण रूप से रजिस्टर्ड किरायानामा पूर्ण रूप से समाप्त किया जाए तथा उसे स्थान पर नोटरीकृत किराएनामे को स्वीकृति प्रदान की जाए, कक्षा पहली से 8 वीं में मान्यता शुल्क व एफ.डी. के आदेश को वापिस लिया जाए तथा आरटीई की राशि अन्य राज्यों के बराबर दी जाए क्योंकि सरकार पहले तो 10 प्रतिशत राशि बढ़ाकर आरटीई का भुगतान करती थी। अब तो कटौती कर इसे भी 5 प्रतिशत कर दिया गया है। जो कि स्पष्ट रूप से भेदभाव पूर्ण नीति है।

कक्षा नौवीं के आवेदन फॉर्म भरने के दौरान आ रही तकनीकी कठिनाई का निराकरण किया जाए, सीबीएसई विद्यालयों को भी कक्षा 12वीं में लैपटॉप दिया जाए, कक्षा पांचवी और आठवीं की अर्धवार्षिक परीक्षाएं अक्टूबर के स्थान पर नवंबर माह में रखी जाएं तथा विद्यार्थियों की नर्सरी से मैपिंग की जाए। विसंगति के चलते जो विद्यार्थी वर्तमान में जिस विद्यालय में है, उसे उस विद्यालय में मैपिंग किया जाता है, किंतु उसे सरकारी विद्यालय द्वारा अपने विद्यालय में भी मैप कर लिया जाता है जो कानूनी तौर से गलत है। इस पर भी गंभीरता से रोक लगाई जाने संबंधी अन्य प्रमुख मांगे शामिल रही। जिनके समय रहते ना पूरा होने पर स्कूल संचालकों द्वारा आगामी 27 सितंबर को प्रदेश की राजधानी भोपाल में शिक्षा स्वाभिमान सभा के रूप में चरणबद्ध आंदोलन के शंखनाद की चेतावनी दी गई।