जीते जी सोने की सीढ़ी चढ़ी परदादी नेत्रबाला

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07HREG235 जीते जी सोने की सीढ़ी चढ़ी परदादी नेत्रबाला

बिजनौर,7 सितंबर( हि.सं.) । सनातन धर्म की परंपराओं का कितना महत्व है इसका उदाहरण देखने को मिला 90 साल की नेत्रबाला परदादी बनने पर जीते जी पोते के हाथों सोने की सीढ़ी चढ़ी। आमतौर पर इस परंपरा को दुनिया से चले जाने के बाद ही निभाया जाता है |

नई बस्ती निवासी साहित्यकार / सेवानिवृत्त शिक्षक तथा स्थायी लोक अदालत के न्यायाधीश के रूप में काम कर चुके अशोक निर्दोष की 90 वर्षीय मां श्रीमती नेत्र बाला धार्मिक प्रवृत्ति की हैं जो इस आयु में भी प्रतिदिन स्नान करके प्रातः मंदिर जाती हैं और शाम को स्नान करके पूजा करती हैं।

अशोक निर्दोष के बेटे अभिषेक एवं पुत्रवधू स्वागिता दास को हाल ही में पुत्र रत्न प्राप्ति हुई । पोते को पुत्र रत्न प्राप्ति होने पर नेत्र वाला ने घोषणा कर दी कि जीते जी वह पोते के हाथों सोने की सीढ़ी चढ़ेंगी। उनकी इच्छा का पालन करते हुए परिजनों ने आवास आर्य नगर नई बस्ती पर नजदीकी परिजनों रिश्तेदारों शुभचिंतकों की मौजूदगी में यह परंपरा निभाई जहां दादी बनी नेत्र वाला को शाल उढ़ाकर माल्यार्पण व पुष्प वर्षा करते हुए अभिनंदन किया गया। यहां मौजूद कन्याओं को दादी नेत्रबाला ने चांदी की अंगूठी भेंट की। वहां उपस्थित सभी ने चार पीढ़ियों को एक साथ देखकर खुशी जताई।