21HSNL6 मुरैना: चंबल में किए गए सर्वे में हुआ खुलासा, बाढ़ की वजह से जलीय जीवों की संख्या हो गई थी कम
-वर्ष 2021 में आई बाढ़ की वजह से इन दोनों जलीय जीवों की संख्या हो गई थी कम
मुरैना, 21 जुलाई (हि.स.)। चंबल नदी में इस साल घडिय़ाल व मगरमच्छों का कुनबा बढ़ गया है। दो साल पूर्व आई बाढ़ की वजह से इन दोनों जलीय जीवों की संख्या पिछले साल कम हो गई थी लेकिन अब फिर इनकी वंश वृद्धि हुई है। इसका खुलासा पिछले दिनों तब हुआ जब वन विभाग मुरैना सहित भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से आए शोधार्थियों के दल ने चंबल नदी में जलीय जीवों का सर्वे किया था। इस दल ने करीब एक पखबाड़े तक चंबल नदी में जांच-पड़ताल की। जिसमें उन्होंने न केवल घडिय़ालों व मगरमच्छों की गिनती की बल्कि अन्य जलीय जीवों की भी गणना की थी। लगभग सभी जलीय जीवों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।
देश की सबसे स्वच्छ नदियों में शामिल चंबल नदी कई ऐसे जलीय जीवों के लिए सुरक्षित ठिकाना साबित हो रही है जो लुप्तप्राय हैं। नदी का स्वच्छ जल एवं प्रदूषण रहित वातावरण इन जलीय जीवों की वृद्धि में सहायक साबित हो रहा है। इन्हीं जलीय जीवों में घडिय़ाल व मगरमच्छ शामिल हैं। इनकी संख्या में भी इजाफा हुआ है। दरअसल वर्ष 2021 में चंबल में आई भीषण बाढ़ में जलीय जीवों पर बुरा असर पड़ा था। इसका असर वर्ष 2022 की गणना में देखा गया था। घडिय़ालों व मगरमच्छों की संख्या वर्ष 2021 के मुकाबले कम हो गई थी लेकिन वर्ष 2023 में हुई गणना में इनकी संख्या बढ़ी है। घडिय़ालों के कुनबे में जहां 94 सदस्य बढ़े हैं वहीं मगरमच्छों की संख्या भी बढ़ी है। घडिय़ालों की संख्या बीते साल की तुलना में 2014 से बढ़कर 2108 हो गई है जबकि मगरमच्छ भी 873 से बढ़कर 878 हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि दो माह पूर्व चंबल नदी में जलीय जीवों की गणना की गई थी। इस गणना में वन विभाग मुरैना के अधिकारियों व कर्मचारियों सहित भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के जलीय जीव विशेषज्ञ, बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी एवं वाइल्ड कन्जर्वेशन ट्रस्ट मुंबई के सदस्य शामिल थे। इन सभी ने करीब एक पखवाड़ा तक चंबल नदी में सर्वे किया था। इस सर्वे टीम का हिस्सा रहे भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के शौधार्थी विकास वर्मा ने बताया कि चूंकि चंबल नदी देश की सबसे स्वच्छ नदियों में शामिल है इसलिए यहां कई लुप्तप्राय: जलीय जीव भी अपना निवास बनाए हुए हैं और उनकी संख्या में लगातार वृद्धि भी हो रही है। वर्मा ने बताया कि वह शौध के सिलसिले में देश की अन्य नदियों में भी गए हैं, लेकिन जो स्वच्छता चंबल नदी में देखने को मिली वह कहीं और नहीं मिली। यहां बता दें कि चंबल घडिय़ाल अभयारण्य में श्योपुर में 60 किलोमीटर लंबी पार्वती नदी के अलावा श्योपुर-मुरैना-भिण्ड जिले की सीमा में 435 किलोमीटर लंबी चंबल नदी का क्षेत्र आता है।
इनका कहना है
चंबल नदी में फरवरी में जो सर्वे हुआ था उसमें मगरमच्छ व घडिय़ाल ही नहीं बल्कि वहां पाए जाने वाले कछुआ, डॉल्फिन, इंडिनयन स्कीमर सहित अन्य जलीय जीवों की गणना भी की गई थी। चूंकि चंबल देश की सबसे स्वच्छ नदियों में शामिल है इसलिए यहां घडिय़ाल, डॉल्फिन व लुप्तप्राय कछुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
विकास वर्मा रिसर्चर, कछुआ केन्द्र, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून
हां यह बात सही है कि इस साल चंबल नदी में घडिय़ालों व मगरमच्छों की संख्या बढ़ी है। यह खुशी की बात है। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि देवरी सेंचुरी में घडिय़ालों के बच्चों का पालन-पोषण कर उन्हें चंबल में छोड़ा जाता है।
ज्योति डण्डौतिया प्रभारी, देवरी घडिय़ाल केन्द्र
इस तरह किया गया था सर्वे
बल नदी में हुई जलीय जीवों की गणना लगभग एक पखबाड़ा चली थी। सर्वे से जुड़े लोग नाव से प्रतिदिन चंबल नदी में भ्रमण करते हैं। वे नाव को एक जगह रोककर पानी के अंदर तक देखकर मगरमच्छों व घडिय़ालों को गिनते हैं। मगरमच्छों व घडिय़ालों से उलट डाल्फिन गहरे पानी में रहती हैं और कुछ सेकेण्ड के लिए बाहर आती है इसलिए उनकी गणना के लिए ट्रांसमीटर रिसीवर का उपयोग किया जाता है। इससे गहरे पानी में भी डाल्फिन की उपस्थिति पता चल जाती है।
वर्ष घडिय़ाल डाल्फिन मगरमच्छ
2016 1162 78 454
2017 1255 75 562
2018 1681 74 613
2019 1876 सर्वे नहीं 706
2020 1859 68 710
2021 2176 82 886
2022 2014 71 873
2023 2108 96 878