शहडोल : आदिवासी क्षेत्र में सिकलसेल के ज्यादा मरीज, फिर भी नहीं है रिसर्च सेंटर

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01HREG28 शहडोल : आदिवासी क्षेत्र में सिकलसेल के ज्यादा मरीज, फिर भी नहीं है रिसर्च सेंटर

श्रमिक-किसानों का पलायन रोकने और कृषि को बढ़ावा देने जरूरी है उद्योगों की स्थापना की मांग

शहडोल।, 1 जुलाई (हि.स.)। प्रदेश के आदिवासी इलाकों में सिकलसेल बीमारी महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है। सिकलसेल के लिए रायपुर और भोपाल में रिसर्च सेंटर है लेकिन शहडोल में कोई विशेष लैब नहीं है। सिकलसेल से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जांच के लिए बाहर जाना पड़ता है।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज शहडोल आगमन हो रहा है। यहां वह जनसभा को संबोधित करेंगे, साथ ही जिले के आदिवासी समुदाय के साथ संवाद कर उनके साथ भोजन भी करेंगे। प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर स्थानीय लोगों में भी काफी उत्साह है। साथ ही उम्मीद है कि प्रधानमंत्री क्षेत्र को कोई न कोई बड़ी सौगात देकर जाएंगे। क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी और स्वास्थ्य सुविधाओं की है। रोजगार न मिलने के कारण काफी संख्या में लोग जिले से पलायन करते हैं। इसके साथ ही इलाज के लिए बड़े शहरों में जाना पड़ता है। प्रधानमंत्री से दोनों क्षेत्रों में लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं।

क्षेत्र के तीन जिलों से लगभग 48 हजार ग्रामीण रोजगार की तलाश में प्रतिवर्ष देश के विभिन्न क्षेत्रों में पलायन करते हैं। अगर कुछ बडे़ उद्योगों की यहां स्थापना हो जाए तो इस समस्या से राहत मिलेगी। पूरा शहडोल संभाग वनों से आच्छादित है और भरपूर मात्रा में खनिज संपदा मौजूद है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र विशेषकर सोयाबीन का रकबा भी संतोषजनक स्थिति में है। इससे आधारित उद्योग धंधे के लिए जमीन, पानी, बिजली और श्रम की यहां उपलब्धता है। केंद्र सरकार का पूरा फोकस कृषि क्षेत्र पर है। ऐसे में कृषि (सोयाबीन) आधारित उद्योग के खुलने से जहां रोजगार के अवसर मिलेंगे वहीं किसानों को भी सीधा लाभ होगा। इसके अलावा खनिज आधारित उद्योग भी खोले जा सकते हैं।

केंद्र व राज्य सरकार के लिए खास है संभाग

संभाग में तीन जिले आते हैं। शहडोल, उमरिया और अनूपपुर सांसद सहित तीनों जिलों की आठ विधानसभा में से छह में भाजपा के विधायक हैं। तीनों ही जिले आदिवासी बाहुल्य हैं और यह इलाका भाजपा का गढ़ है। भाजपा के लिए यह इलाका कितना खास है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू का पहली बार प्रदेश आगमन शहडोल में ही हुआ था।

सैनिक स्कूल की मांग ने पकड़ा जोर

प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर सैनिक स्कूल की मांग ने भी जोर पकड़ा है। सैनिक स्कूल खुलने से क्षेत्र के बच्चे भी सेना में बढ़-चढ़कर भाग लेंगे और देश के भविष्य को संवारने में अपनी अहम भूमिका निभा सकेंगे। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से भारतीय रक्षा सेवाओं में कमीशन अधिकारी के रूप में कैडेटों के अनुरूप शैक्षणिक, शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हो सकेंगे। पूर्व सेना प्रमुख स्व. जनरल बिपिन रावत की इच्छा इस क्षेत्र में सैनिक स्कूल खोलने की थी। जिसके लिए सीमावर्ती जिला अनूपपुर में सैनिक स्कूल खुलने से क्षेत्र के लोगो को सेना में जाना असान होगा।

नागपुर ट्रेन की वर्षों पुरानी मांग

संभाग की एक बड़ी समस्या चिकित्सा सुविधा की है। यहां मेडिकल कॉलेज की शुरुआत तो हो गई है, लेकिन कई विभाग अभी तक शुरू नहीं हुए हैं। वहीं विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी कमी है। क्षेत्र से रोजाना दर्जनों लोग इलाज के लिए नागपुर जाते हैं। सीधी ट्रेन नहीं होने के कारण मरीजों को स्वयं के वाहन में या फिर ट्रेन से वाया जबलपुर या बिलासपुर ब्रेक जर्नी करके जाना पड़ता है। इसके लिए अम्बिकापुर से नागपुर के लिए ट्रेन की मांग पिछले पांच वर्षों से की जा रही है। प्रधानमंत्री ने रीवा प्रवास के दौरान रीवा नागपुर मेडिकल ट्रेन की सौगात दी थी। उनके शहडोल आगमन पर लोगों की उम्मीद है कि उनकी यह मांग भी पूरी होगी।

अनूपपुर में मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज

अमरकंटक में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के अंतर्गत अनूपपुर में दस साल पहले मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज स्वीकृत हैं। दोनों सौगातें भी बड़ी मुश्किल से प्राप्त हुई थीं,परंतु आज तक इन संस्थानों की नींव का पत्थर भी नहीं रखा जा सका। इन सौगातों को पाने के लिये कई बार पत्राचार किया गया। किन्तु अब तक कुछ नहीं हो सका प्रधानमंत्री के आने से क्षेत्र के लोगो को उम्मीद जागी हैं।