कुबेरेश्वरधाम पर उमड़ा आस्था का सैलाब, दो दिन में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लिया गुरु मंत्र

Share

03HREG342 कुबेरेश्वरधाम पर उमड़ा आस्था का सैलाब, दो दिन में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लिया गुरु मंत्र

– संकट के समय गुरु नहीं, गुरुमंत्र आता है काम: पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर, 03 जुलाई (हि.स.)। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में त्रिदिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव का सोमवार को समापन हुआ। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सुबह आठ बजे से प्रवचन का आयोजन किया गया और उसके बाद गुरु दीक्षा का क्रम रहा। दो दिवसीय दीक्षा समारोह में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आकर सामूहिक रूप से गुरुमंत्र लिया और तीन दिन तक चल इस महोत्सव में दस लाख से अधिक श्रद्धालु धाम पर पहुंचे और बाबा से प्रार्थना की।

कुबेरेश्वर धाम के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने सोमवार को प्रवचन के दौरान कहा कि संकट के समय गुरु नहीं, गुरु मंत्र काम आता है। भरी सभा में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, तो उस समय सभी चुप-चाप बैठे हुए थे, लेकिन जब द्रौपदी ने अपने गुरु की ओर देखा तो उन्होंने ऊपर की ओर इशारा किया और द्रौपदी ने भगवान कृष्ण का ध्यान किया तो भगवान ने उसकी लाज रखी। इसी तरह संकट जब भी आए तो अपने गुरु पर भरोसा रखो, वही आपको विषम परिस्थितियों में बाहर निकालेगा।

उन्होंने कहा कि मरने के बाद भी चार चीजें हमारे साथ जाती हैं। प्रथम है पुण्य, यदि हमने कोई पुण्य किया है तो वह हमें स्वर्ग के द्वार तक ले जाएगा। दूसरा है पाप, यदि हमारे द्वारा कोई पाप हुआ है तो वह हमें नर्क के द्वार तक ले जाएगा। पाप को समय रहते भोग लेना चाहिए। यदि पाप का प्रायश्चित नहीं किया तो यह बाद में हजारों गुना बढ़ जाएगा। इसलिए इसे जल्दी ही भोग लेना चाहिए और यदि पुण्य किया है तो उसे भविष्य के लिए भूल जाएं क्योंकि बाद में यह हजारों गुना बढ़कर लौटेगा और अधिक पुण्य लाभ मिलेगा।

उन्होंने कहा कि पुराणों में कई जगह आया भी है कि पाप हो या पुण्य दोनों ही आपके कर्म फल से उत्पन्न होकर तब तक रहते हैं जब तक कि इनको भागा न जा सके। यह चक्रवृद्धि ब्याज की तरह बढ़ते रहते हैं। इसलिए पाप, पुण्य के साथ यह जो तीसरा कारण कर्म है, वह जब भी हो जागृत अवस्था में हो, सचेत रहते हुए हो, क्योंकि कर्म को ही मानव जीवन में प्रधान कहा है, इसी कर्म से हमारा प्रारब्ध बनता है और उसी अनुसार हमारे भविष्य का निर्माण होता है। आज जो भी मिल रहा है वह पूर्व में किए गए कर्मों का ही परिणाम है। गुरु मंत्र, गुरु मंत्र याने जो गुरु हमें शिक्षा देते हैं उसी को गुरु मंत्र कहते हैं और गुरु मंत्र हमे मोक्ष के द्वार तक पहुंचाते हैं।

गुरु और भगवान पर आस्था और भरोसा जरूरी

पंडित मिश्रा ने कहा कि मृत्यु लोक में जन्म लिया है तो आप पर उंगली उठाने वाले हजारों मिलेंगे, लेकिन हमेशा ध्यान रखना कि अपने कर्म में लगे रहना। जब लोगों ने भगवान को नहीं छोड़ा तो हम तो इंसान हैं। इसलिए सदा ध्यान रखना कि छल प्रपंच में कभी मत फंसना। अगर कहीं फंसना तो देवाधिदेव के चरणों में फसना।

इस तरह ली थी पंडित प्रदीप मिश्रा ने दीक्षा

त्रिदिवसीय अपने प्रवचन के अंतिम दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि शहर में गीता बाई पाराशर रहीं जो जगह-जगह भोजन बनाने का कार्य करती थीं। उन्होंने श्रीमद भागवत कथा का संकल्प लिया था पर पैसा नहीं था। उन्होंने कथा करवाई, उस समय न भागवत थी न ही धोती कुर्ता। उन्होंने कहा कि पहले आप गुरु दीक्षा लीजिए। मैं गुरु दीक्षा लेने इंदौर गया, गोवर्धन नाथ मंदिर। वहां से दीक्षा ली। मेरे गुरुजी ने ही मुझे धोती पहनना सिखाई और उन्होंने छोटी सी पोथी मेरे हाथ में दे दी। आज गुरु दीक्षा का आशीर्वाद है कि मुझे आप सभी का स्नेह और प्रेम मिल रहा है और हम सभी भगवान शिव की महिमा का वर्णन कर रहे हैं।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि दुष्ट प्रवृत्ति के लोग दूसरों के दिलों को चोट पहुंचाने वाली, उनके विश्वासों को छलनी करने वाली बातें करते हैं, दूसरों की बुराई कर खुश होते हैं। मगर ऐसे लोग अपनी बड़ी-बड़ी और झूठी बातों के बुने जाल में खुद भी फंस जाते हैं। मनुष्य अपना ही मित्र और शत्रु है।