जनजीवन में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक संस्कृति की स्थापना करें: आचार्य अशोक

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02HREG81 जनजीवन में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक संस्कृति की स्थापना करें: आचार्य अशोक

हरदोई,02 जुलाई (हि.स.)शिव सत्संग मण्डल के हुसैनापुर धौकल आश्रम पर रविवार को हुए ब्रह्मलीन संत श्री कृष्ण कन्हैया की 83 वीं जयंती पर आयोजित धर्म उत्सव में उपस्थित शिक्षाविदों ,विद्वानों ,साधकों ने आह्वान किया कि वे अपने अंदर आध्यात्मिक गुणों को विकसित करते हुए समाज व राष्ट्र की सेवा करें।स्वयं का जीवन आदर्शमयी बनाते हुए जनजीवन में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक संस्कृति की स्थापना करें।

इस अवसर पर मण्डल के अध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि शिव सत्संग मण्डल के संस्थापक संत श्री कृष्ण कन्हैया आध्यात्मिक मूल्यों के प्रतीक थे।उनका व्यक्तित्व असंख्य भक्तों के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।इस सच्चाई को गर्व से स्वीकार करना होगा।संत श्री ने मण्डल के रूप में एक पाठशाला की स्थापना कर ज्ञानमार्ग की ओर ले जाने का सद्प्रयास किया।उनके पुण्य स्मरण से ही ह्रदय में भक्ति की धारा प्रवाहित होने लगती है। कहा कि उनका जीवन और हर कर्म आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा प्रदान करता था।उनके श्रेष्ठ कर्मों की मिसाल यहाँ उपस्थित लोगों से प्रतीत हो रही है।

लखनऊ के अध्यक्ष राजेश पाण्डेय ने कहा कि संत कृष्ण कन्हैया सत्यं शिवं सुंदरम् के प्रतीक थे। यही कारण है कि उनके विचारों में केवल सत्य का उद्भास था।जिसके कारण शिवत्व का अवतरण भी उनमें सहजतः हो गया है। उनके विचारों की सार्वभौमिकता का सबसे बड़ा कारण है कि वे गहरे विचारक होते हुए भी किसी विचार से बंधे हुए नहीं थे। उनके विचार इतने प्रभावपूर्ण होते थे कि अनायास ही अंतर में झांकने को विवश कर देते हैं।लखीमपुर के जिलाध्यक्ष जमुना प्रसाद ने कहा कि शिव सत्संग मण्डल के आश्रम पर आने से अत्यंत शांति और आनंद की अनुभूति होती है। बताया कि भारत ऋषि और कृषि प्रधान देश है।भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित होकर ही समग्र जीवन का कल्याण संभव है।

प्रचारक प्रेम कुमार ने कहा कि सकारात्मक व रचनात्मक समाज के निर्माण में शिव सत्संग मण्डल का अद्वितीय योगदान है। कहा कि लोगों को अध्यात्म की धारा से जोड़कर ही ,समाज में फ़ैल रही विषमताओं एवं विशंगतियों को काम किया जा सकता है।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री त्रिपुरेश पांडेय ने दीप प्रज्ज्वलित कर, डॉ्र संदीप चंद्रशेखर ने सामूहिक ईश प्रार्थना से किया। भजनोपदेशक श्री कृष्ण,योग प्रशिक्षक सत्यम सक्सेना,महेश,रामचंद्र, प्रतिभा ने प्रेरणादायी भजन सुनकर श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर लिया।दिन में हुए कन्या भोज में आस पास के ग्रामीण अंचल की सैकड़ों कन्याओं ने भोज में सहभागिता की।इस जयंती उत्सव की अध्यक्षता डॉ. कालिका प्रसाद ने की। समापन पर सभी ने रोज़ाना ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभु का सुमिरन करने का शिव संकल्प लिया। संचालन रवि वर्मा ने किया।