02HREG15 गंगा में फिर से अठखेलियां करेंगी रोहू, कतला व मृगल प्रजाति की मछलियां
– विलुप्त हो रही मछलियों के दो लाख बीज गंगा नदी में छोड़ा गया
बलिया, 02 जुलाई (हि.स.)। गंगा में विलुप्त हो रहीं कतला, रोहू तथा मृगल प्रजाति की मछलियों के लिए प्रयास चालू हो गए हैं। विलुप्त हो रही इन मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण व संवर्धन को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) के द्वारा जिले के कोटवा नारायणपुर गंगा घाट पर गंगा नदी में दो लाख भारतीय प्रमुख कार्प के बीज को छोड़ा गया।
राष्ट्रीय नदी रैंचिंग कार्यक्रम 2023 के अवसर पर सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त भी उपस्थिति थे। इस दौरान कतला, रोहू व मृगल मछलियों के बीज को गंगा नदी में छोड़ा गया। सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने गंगा के महत्व को बताते हुए स्वच्छ रखने व जैव विविधता को बचाने के लिए लोगों से आह्वान किया। उन्होंने बलिया जनपद के जलभराव वाले जल क्षेत्र जैसे सुरहताल, भागर नाला, मगही नदी, कोरहरा नाला में मत्स्य उत्पादन के लिए लोगों को प्रेरित किया। जिससे रोजगार अवसर के साथ- साथ जल क्षेत्रों के प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलेगी। सांसद मस्त ने मत्स्य पालन के साथ मिश्रित कृषि और मोटे अनाज की खेती को अपनाने की अपील किया। इस दौरान सांसद ने मछुआरों को जाल का भी वितरण किया।
वहीं, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के निदेशक डॉ. बीके दास ने गंगा नदी में मछली और रैंचिंग के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के 25 लाख से ज्यादा बीज का रैंचिंग किया गया है।
इस अवसर पर बीडीओ शिवांकित वर्मा, सहायक मत्स्य निदेशक संजय कुमार, जिला कृषि अधिकारी डीके सिंह आदि ने जैव विविधता और मछलियों के बारे में जागरूक किया। कार्यक्रम में वैज्ञानिक डाॅ. मितेश रामटेक व डाॅ. विकास कुमार आदि भी थे। संचालन केंद्र प्रभारी डाॅ. धर्मनाथ झा ने किया। संस्थान के वैज्ञानिक डाॅ. राजू बैठा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।