रतलाम: फव्वारा पद्धति से निर्मित परियोजना बनी सिंचाई क्षमता का सशक्त माध्यम

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30HREG267 रतलाम: फव्वारा पद्धति से निर्मित परियोजना बनी सिंचाई क्षमता का सशक्त माध्यम

रतलाम, 30 जून (हि.स.)। जिले में प्रथम फव्वारा पद्धति से निर्मित कोटेश्वर इमलीपाड़ा सिंचाई तालाब का फायदा दो हजार से अधिक किसान परिवार उठा रहे हैं। यह महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना लगभग 22 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता का सशक्त माध्यम बनी है।

कोटेश्वर तालाब का निर्माण शासन द्वारा 69 करोड़ 63 लाख रुपए वहन करके किसानों की सिंचाई सुविधा के लिए किया गया है। रतलाम तहसील के ग्रामीण क्षेत्र के करीब 13 गांव तालाब से लाभान्वित हो रहे हैं। यह सिंचाई परियोजना इमलीपाड़ा गांव के अलावा रावलिया, खेड़ा खेड़ी, पीपलोदी, बावड़ीखेड़ा, पीपलखूंटा, उमरन, पिपलीपाड़ा, बसंतपुरा, कुण्डालपाड़ा एवं गुजरपाड़ा के 2354 किसान परिवारों के लिए वरदान बनी है।

तालाब निर्माण के पूर्व क्षेत्र के किसानों द्वारा परंपरागत खेती की जाती थी परंतु तालाब निर्माण हो जाने के बाद अब किसान अमरुद, नींबू, पपीता जैसी उद्यानिकी फसल लेने में भी सक्षम हो गए हैं। अब क्षेत्र में उद्यानिकी खेती भी बहुत तादाद से की जा रही है। क्षेत्र के कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है। आसपास के भूजल स्तर में अपेक्षित वृद्धि हो गई है। मछली पालन रोजगार की सुविधा एवं मवेशियों को पीने का पानी उपलब्ध हो रहा है। दबावयुक्त सिंचाई प्रणाली से सिंचाई करने पर पानी की खपत कम होती है तथा किसान को सिंचाई के लिए ज्यादा मात्रा में पानी उपलब्ध रहता है। कोटेश्वर सिंचाई तालाब की अधिकतम ऊंचाई 23.25 मीटर है, कुल जल भराव क्षमता 10 घनमीटर की है।