समान नागरिक संहिता के प्रबल समर्थक थे डॉ.अंबेडकर: रूपेश विश्वकर्मा

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20HREG260 समान नागरिक संहिता के प्रबल समर्थक थे डॉ.अंबेडकर: रूपेश विश्वकर्मा

राजगढ़,20 अप्रैल (हि.स.)। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश को नई दिशा देने का कार्य किया। वे समानता के प्रबल समर्थक थे और देश में समान नागरिक संहिता चाहते थे। उन्होंने देश मे जातिगत भेदभाव दूर करने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। जब देश का बंटवारा हो रहा था तब उनका मत भारत निष्ठ रहा। यह बात अग्रवाल धर्मशाला ब्यावरा में गुरुवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित सामाजिक समरसता गोष्ठी को संबोधित करते हुए आरएसएस के विभाग बौद्धिक प्रमुख रूपेश विश्वकर्मा ने कही।

विभाग बौद्धिक प्रमुख विश्वकर्मा ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर पूरे भारत को एक भारत रखने के पक्ष में थे। जब कश्मीर में धारा 370 लागू की गई तो उन्होंने देश के कानून मंत्री होने के नाते शेख अब्दुल्ला को पत्र लिखकर इसका कड़ा विरोध किया था। इसके अलावा उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतीय जीवन पद्धति एवं धार्मिक संस्कारों के साथ जीया। विश्वकर्मा ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर देश में जातिवाद,छुआछूत को समाज से समाप्त करना चाहते थे। उन्होंने समाजजनों से आग्रह किया कि आज समाज को डॉ. भीमराव अंबेडकर के साहित्य व उनकी देशभक्ति को पढ़ना चाहिए।

गोष्ठी में सभी समाज के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और बाबा साहब के जीवन प्रसंग बताकर उनके चरणों में विचारों के रूप में नमन किया।