31HNAT34 हम पाकिस्तान पर आक्रमण नहीं चाहते, हमें अपनी जमीन नहीं भूलनी चाहिएः डॉ. मोहन भागवत
भोपाल, 31 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हम पाकिस्तान पर आक्रमण नहीं चाहते। हमें अपनी जमीन को नहीं भूलना चाहिए। उससे जुड़ाव रखना चाहिए। इसके लिए नई पीढ़ी को तैयार रहना होगा।
सरसंघचालक डॉ. भागवत शुक्रवार को भोपाल में अमर शहीद हेमू कालाणी के जन्मशताब्दी वर्ष के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सिंधी समाज का योगदान बराबरी का रहा लेकिन उल्लेख कम होता है। अपने स्व को बचाने के लिए ये बलिदान हुए। जब सिंधु से हटने की बारी आई तो आपने भारत को नहीं छोड़ा। आप पराक्रमी हैं। 1947 से पहले वह भारत था। सिंधु संस्कृति थी। कोई कहेगा तो बताना पड़ेगा। भारत खंडित हो गया, उसे बसाना पड़ेगा। हम आ गए, पर मन से नहीं छोड़ा। भारत कहें तो हम सिंधु नदी को नहीं भूल सकते। ये नाता नहीं तोड़ सकते। हम कुछ नहीं भूलेंगे। क्योंकि यह कृत्रिम विभाजन है। पाकिस्तान के लोग कह रहे हैं कि यह गलती हो गई। जो अपनी हटधर्मिता के कारण भारत से अलग हुए, वह दुख में हैं। जो भारत के साथ यहां आए, वह फिर से खड़े हो गए।
सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि उस समय गलती हुई, उसका सुधार यही है। आप तैयार रहिए, हम आक्रमणकारी नहीं है, पाकिस्तान पर आक्रमण नहीं करेंगे, पर ऐसा खुद ही होगा। आप दोनों तरफ का भारत जानते हो, वहां भारत को बसा सकते हो। छोटे स्वार्थ को छोड़कर एकजुट हों। अपने घर में अपना भजन, पूजन चले, इसका प्रयास करते रहना होगा। यहां जन्म लेने वालों का लगाव वहां के प्रति बढ़ाना होगा। सनातन परंपरा सब के लिए है। हमें लड़ाने वालों से बचाना, ऐसा हो तो संभालना। तब कुटिल षड्यंत्र असफल होते हैं। हम सिंधु हैं, मतलब हिंदू हैं।
उन्होंने कहा कि आज सारी दुनिया को यह विचार चाहिए। 1919 में हेडगेवार ने कांग्रेस की बैठक में संपूर्ण भूमि का प्रस्ताव दिया था। आदिकाल से सिंधु और सिंध का सहभाग रहा, आज भी है। मांग पूरी करने का सिलसिला चलता रहेगा। ये चले न चले, भारत चलता रहना चाहिए। उतार-चढाव चलते रहेंगे, पर मिटेंगे नहीं। नई पीढ़ी का प्रवोधन करें। वह छोटे स्वार्थ में लक्ष्य न भूलें। आपकी ताकत के साथ संघ खड़ा रहेगा। इससे ज्यादा कहने की जरुरत नहीं, इशारा समझिए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘आयो लाल सभय चलो’… से अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि धर्म, संस्कृति के लिए अपनी धरती छोड़ दी, इसलिए आप अभिनंदनीय हैं। परिश्रम और उद्यमशीलता में सिंधी समाज का मुकाबला नहीं। यह समाज हर संकट में गिरकर भी उठ कर खड़े होने का सामर्थ्य रखता है।
प्रदेश में सिंधी संस्कृति संग्रहालय बनेगा
मुख्यमंत्री चौहान ने इस अवसर पर घोषणाओं करते हुए कहा कि हेमू कालाणी की जीवनी सिलेबस में शामिल की जाएगी। बच्चों को सिंधी समाज के संतों से रूबरू कराएंगे। अगले महीने से सिंधु दर्शन कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके लिए 25 हजार रुपये प्रति तीर्थयात्री अनुदान दिया जाएगा। प्रदेश में सिंधी साहित्य अकादमी का बजट बढ़ाकर पांच करोड़ किया जाएगा। मनुआभान की टेकरी पर हेमू कालाणी की प्रतिमा लगाई जाएगी। जबलपुर, इंदौर में सिंधी बाहुल्य क्षेत्रों में हेमू कालाणी की प्रतिमा लगाई जाएगी। प्रदेश में सिंधी संस्कृति का संग्रहालय बनेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1614 वर्ग फीट के मकान को एक प्रतिशत मूल्य लेकर पट्टा वैधानिक किया जाएगा। इसी तरह दुकान को भी वैध किया जाएगा। आज ही इसके आदेश निकाल दिए जाएंगे।
कार्यक्रम के दौरान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समाज के गौरव पद्मश्री सुरेश आडवाणी, टेक महिंद्रा ग्रुप के सीईओ सीपी गुडनानी को सम्मानित किया। उनके ग्रुप से डेढ़ लाख से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। उन्होंने व्यावसायिक क्षेत्र की शख्सियत मनोहर शेरवानी का सम्मान भी किया। वे पुणे में नि:शुल्क डायलिसिस सेंटर चलाते हैं। पॉलिकेब इंडस्ट्रीज के चेयरमैन व डायरेक्टर इंदर जयसिंघानी का भी सम्मान किया गया। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से उनके प्रतिनिधि ने सम्मान प्राप्त किया। इसके अलावा, दुबई में रहने वाले उद्योगपति राम बक्सानी को सम्मानित किया गया।
सिंधी सभ्यता की दिखी झलक
भेल दशहरा मैदान पर भारतीय सिंधु सभा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मंच पर पहुंचने से पहले सरसंघचालक डॉ. भागवत और मुख्यमंत्री चौहान ने यहां लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में अखंड भारत यानी जब भारत पाकिस्तान एक ही देश हुआ करते थे, उस वक्त सिंध प्रांत में निवासरत सिंधी समाज के लोगों की जीवनशैली, सभ्यता, संस्कृति देखने को मिली। इस प्रदर्शनी में भारत-पाकिस्तान बंटवारे में अपनी जन्मभूमि से जुदा हुए सिंधी समाज के लोगों का दर्द भी नजर आया। इसके अलावा सैकड़ों साल पुरानी सिंधु घाटी की सभ्यता हड़प्पा संस्कृति और मोहनजोदड़ो की झलक भी दिखाई दे रही है।