रतलाम: संसार में सफल होने के लिए जेब में गांधी नहीं आपके अंदर आंधी चाहिए: किरीट भाई

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02HREG268 रतलाम: संसार में सफल होने के लिए जेब में गांधी नहीं आपके अंदर आंधी चाहिए: किरीट भाई

रतलाम, 2 मार्च (हि.स.)। मानव में दो प्रकार का ज्ञान होता है। एक बुद्धि और दूसरी सदबुद्धि। बुद्धि जगत में व्यवहार, आजीविका संचालन के अलावा परिवार के भरण-पोषण तक सीमित रहती है। सदबुद्धि आत्मा से संबंधित होती है। यह जीवन और मृत्यु के फेर से छुटकारा चाहती है। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि बुद्धि जगत तक सीमित रहती है और जगदीश को पाने के लिए सदबुद्धि सकुशल है।

उक्त विचार आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अग्नि का स्वभाव जलाना है, ठीक उसके विपरित मां सीता का स्वभाव कल्याण करना है। इसलिए मां सीता को पाने के लिए आप उनका चिंतन कीजिए वह आपकी चिंता स्वयं करना शुरू कर देगी। जीवन में मनुष्य आत्म दर्शन करने लगें तो समझ लेना की मां सीता की कृपा शुरू हो गई है। आचार्य ब्रह्मर्षि ने उदाहरण प्रस्तुत कर जीवन में सफलता का मूलमंत्र कुछ इस प्रकार बताया कि संसार में सफल होने के लिए जेब में गांधी नहीं आपके अंदर आंधी चाहिए। उन्होंने बताया कि आप माया पति बनकर सफल नहीं हो सकते हैं। माया यानी मां सीता के बालक बन उनकी आराधना करो।

सफलता का दिया मूलमंत्र

आचार्य ब्रह्मर्षि ने मानव जीवन में व्याप्त सफलता और नकारात्मक पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जब आपके अंदर नकारात्मक विचार आए तो समझ लेना अहंकारी रावण आपके अंदर है। इससे बचने का एकमात्र उपाय यह है कि सुबह उठकर दर्पण में अपना चेहरा देखकर बोलो की मैं सुखी हूं, मैं बलशाली हूं और धनवान होने के साथ एक सफल मनुष्य हूं। फिर देखना आपके अंदर परिवर्तन कैसे आता है। यह परिवर्तन मां भगवती के आशीर्वाद से स्वत: ही प्राप्त होने लगेगा।

पाप नहीं पुण्य कमाओं

उन्होंने बताया कि वाणी, विचार और शरीर से किया गया पाप अगर आप कर रहे हो तो संभल जाओ। जो पाप आपने किसी भी माध्यम से किया है और आप शांत हो गए तो आपके उक्त पाप को आपका पुत्र, पोता या परपोते को भुगतना पड़ेगा। आप उपकार और परोपकार कर पुण्य कमाओ। इससे आपको तो मुक्ति मिलेगी ही आपका वंश भी कीर्ति प्राप्त करेगा।