बजट के क्रियान्वयन में सहभागी हों प्रदेशवासीः मुख्यमंत्री चौहान

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– मुख्यमंत्री ने किया राज्य के बजट और आर्थिक सर्वेक्षण पर जन-संवाद

भोपाल, 10 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सामान्यत: राज्य के बजट और आर्थिक सर्वेक्षण को अर्थशास्त्री और विशेषज्ञों का विषय माना जाता है। हमने पिछले साल से राज्य का बजट बनाने में जनता के सुझावों को शामिल करना आरंभ किया। इस वर्ष चार हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए, जिनमें से अधिकांश को राज्य के बजट में शामिल किया गया है। अब बजट का क्रियान्वयन भी जन-भागीदारी के साथ करने के उद्देश्य से आर्थिक सर्वेक्षण और बजट पर जन-संवाद किया गया है। मैं चाहता हूँ कि ग्राम सभाओं में भी बजट पर चर्चा हो। प्रदेशवासी बजट को समझें और उसके क्रियान्वयन तथा आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में अपना योगदान दें।

मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार को मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23, राज्य बजट 2023-24, सरकार की योजनाओं और उनके संभावित लाभों के संबंध में समाज के विभिन्न वर्ग, लाभार्थी और हितधारकों से संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए। अटल बिहारी वाजपेई सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान तथा मध्यप्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में संवाद श्रंखला का यह पहला कार्यक्रम है। प्रदेश के सभी संभागों में भी संवाद कार्यक्रम होंगे।

राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 18 गुना प्रगति प्रदेश के लिए चमत्कार

मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण के तथ्य तेजी से बढ़ते मध्यप्रदेश की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। कृषि, ग्रामीण विकास, उद्योग एवं व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास सहित गरीब कल्याण के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश का प्रदर्शन अच्छा रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण से स्पष्ट होता है कि सही दिशा में दूरदर्शी सोच के साथ प्रयास किए जाएँ तो कठिनाइयों को भी कामयाबी में बदला जा सकता है। प्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर 16.43 प्रतिशत हो गई है। यह वर्ष 2001-02 में 4.43 प्रतिशत थी। राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 13 लाख 22 हजार 821 करोड़ रूपये अनुमानित है, जो वर्ष 2001-02 में 71 हजार 594 करोड़ था। यह 18 गुना प्रगति प्रदेश के लिए चमत्कार है। प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2001-02 में 11 हजार 718 रूपये थी, जो वर्ष 2011-12 में 38 हजार 497 हुई और वर्ष 2022-23 में इसके एक लाख 40 हजार 583 रूपये होने का अनुमान है। हम इस प्रगति से अभी संतुष्ट नहीं है, प्रदेश को और भी आगे ले जाना है।

मध्यप्रदेश राजस्व बढ़ाने वाले देश के पहले पाँच राज्य में शामिल

उन्होंने कहा कि ऋण लेने के संबंध में राज्य सरकार पर आरोप लगाए जाते हैं। वास्तविकता यह है कि राज्य सरकार द्वारा ऋण लेने के मापदंडों के अनुसार ही ऋण लिया गया। ऋण और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात वर्ष 2020-21 में 22.6 प्रतिशत रहा, जबकि वर्ष 2005 में यह 39.5 प्रतिशत था। राज्य का पूँजीगत व्यय 23.18 प्रतिशत से बढ़कर 45 हजार 685 करोड़ हुआ है, जो मध्यप्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है। कोविड की कठिनाइयों के बाद भी राज्य सरकार ने आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के विजन के साथ राजस्व को बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया है, जो पिछले 3 साल में प्रति वर्ष 7.94 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। हम देश के राजस्व बढ़ाने वाले पहले 5 राज्यों में शामिल हैं।

सिंचाई क्षमता 7.50 लाख से 45 लाख हेक्टेयर हुई

चौहान ने कहा कि गरीब-कल्याण के क्षेत्र में राज्य सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ सक्रिय है। प्रदेश के 6 लाख से अधिक शहरी स्ट्रीट वेंडरों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया गया है। प्रदेश की कृषि विकास दर बढ़कर 19 प्रतिशत हो गई है। सिंचाई क्षमता में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जो 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो गई है। हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता हासिल करने का है। औद्योगिक विकास के लिए हम प्रतिबद्धता से सक्रिय हैं।

इस वर्ष का बजट कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिचायक

उन्होंने कहा कि राज्य का इस वर्ष का बजट कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिचायक है। बजट का आकार 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए हम सक्रिय हैं। प्रधानमंत्री मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थ-व्यवस्था के संकल्प को साकार करने के लिए मध्यप्रदेश 550 बिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था निर्मित कर अपना योगदान देगा। इसी उद्देश्य से बजट का 18 प्रतिशत पूँजीगत व्यय के लिए रखा गया है।