26HREG179 गहरे सामाजिक सरोकारों के कवि हैं मुक्तिबोध : मंडलोई
-कुमाऊं विवि की महादेवी वर्मा सृजन पीठ में आयोजित महादेवी वर्मा स्मृति व्याख्यान
नैनीताल, 26 मार्च (हि.स.)। हमारे समय के महत्वपूर्ण प्रगतिशील कवि मुक्तिबोध कवि कर्म को शुद्ध कवि कर्म न मानकर उसे गहरे सामाजिक सरोकारों से जोड़कर देखते हैं। मुक्तिबोध मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण से मुक्ति के जिस आदर्श को लेकर कला चिंतन की ओर अग्रसर हुए हैं, वह राजनीतिक चेतना से अछूता रहकर कभी पूरा नहीं हो सकता।
यह बात अंतरराष्ट्रीय पुश्किन सम्मान, कबीर सम्मान और वागेश्वरी पुरस्कार से सम्मानित, भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक, दूरदर्शन व आकाशवाणी के महानिदेशक और प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य रहे वरिष्ठ साहित्यकार लीलाधर मंडलोई ने कुमाऊं विश्वविद्यालय की रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ में कवयित्री महादेवी वर्मा के 116वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित ‘मुक्तिबोध की समकालीनता’ विषयक महादेवी वर्मा स्मृति व्याख्यान में व्यक्त किए।
मंडलोई ने कहा कि मुक्तिबोध ने समीक्षात्मक लेखों के साथ कविताओं को भी सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया से जोड़कर अधिकाधिक राजनीतिक तेवर प्रदान किया है। अधिकांश महत्वपूर्ण कविताओं में मुक्तिबोध ने अपने सामाजिक राजनीतिक रुख-रुझान को पूरे आग्रह-अनुरोध के साथ संवेदनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। यही नहीं मुक्तिबोध ने कला के प्रश्नों को जीवन के प्रश्नों के साथ जोड़ने का सफल प्रयास किया है। हिंदी काव्य जगत को उन्होंने एक नई जमीन दी है। अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने समाज के भविष्य निर्माण का एक सही नक्शा, आने वाली पीढ़ी के लिए एक महान स्वप्न के रूप में दिया है। यह नक्शा और स्वप्न अपनी कुछ अस्पष्टता और धुंधलेपन के बावजूद आज के समूचे प्रगतिकामी कवियों के लिए प्रेरणा-बिंदु का कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि महादेवी वर्मा ने रामगढ़ में भवन बनवाकर यहां जो साहित्य सृजन किया, वह साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है। यह हम सब के लिए अत्यन्त गौरव की बात है। इससे इस क्षेत्र को राष्ट्रीय पहचान मिली है।
पीठ के निदेशक प्रो. शिरीष कुमार मौर्य ने कहा कि महादेवी वर्मा सृजन पीठ देशभर में फैले हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य तथा साहित्यकारों को महत्वपूर्ण विमर्श के तहत एकत्र कर उनके बीच संवाद स्थापित करने का कार्य कर रही है। इससे पूर्व डीएसबी परिसर की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. निर्मला ढैला बोरा ने मंडलोई का परिचय प्रस्तुत किया। संचालन पीठ के शोध अधिकारी मोहन सिंह रावत ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डॉ. ममता पंत, कुमार मंगलम, डॉ. अनिल कार्की, डॉ. राजेन्द्र कैड़ा, डॉ. भूपेंद्र बिष्ट, डॉ. अरुण देव, प्रो. दिवा भट्ट और जहूर आलम ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर प्रो. चन्द्रकला रावत, डॉ. शशि पाण्डे, डॉ. कंचन आर्या, डॉ. दीक्षा मेहरा, मथुरा इमलाल, डॉ. तेजपाल सिंह, कृष्ण चन्द्र जोशी, हिमांशु डालाकोटी, तारादत्त भट्ट और मेधा नैलवाल आदि उपस्थित रहे।