गौरैया संरक्षण के लिए अभियान चलाने की आवश्यकता : डॉ. सेठी

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01HREG221 गौरैया संरक्षण के लिए अभियान चलाने की आवश्यकता : डॉ. सेठी

हरिद्वार, 01 मार्च (हि.स.)। राजकमल साइंस एंड मैनेजमेंट कॉलेज बहादराबाद में घरेलू गौरैया संरक्षण पर व्याख्यान हुआ। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पर्यावरण जागरूकता और मूल्य चेतना सेल के नोडल अधिकारी, डॉ. विनीत सेठी घरेलू गौरैया के संरक्षण पर एक अतिथि व्याख्यान दिया।

डॉ. सेठी ने कहा कि गौरैया जिसे आप अपने घर के छज्जों, छत और घर की देहरी पर देखते थे, उसकी चहचहाहट सुनकर नींद खुलती थी। आज वह विलुप्त होने की कगार पर खड़ी हुई है। उन्होंने राजकमल कॉलेज के छात्र-छात्राओं को अपनी गौरैया को बचाने के लिए संकल्प लेने और इस नन्ही गौरैया के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाने को कहा। उन्होंने कहा कि हम इसे अपने घर-आंगन में घोंसले लगाकर चहचहाते हुए देखना चाहते हैं। गौरैया प्रजाति जो काफी तेजी से देश में विलुप्त हो रही है, ऐसे में गौरैया-संरक्षण जरूरी है। ताकि हम अपनी आने वाली पीढि़यों को गौरैया की चहचहाहट सुना पाएं।

राजकमल कॉलेज के प्राचार्य डॉ राघवेंद्र चौहान ने बताया कि पिछले कुछ सालो से शहरों में गौरैया की कम होती संख्या पर चिंता प्रकट की जा रही है। पहले कभी घरों में यह चहकने वाली गौरैया शायद अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। इसका कारण कोई और नहीं बल्कि यह है कि अब लोगों के पक्के महलों के करण वह नन्ही गौरैया अपना घर नहीं बना पाती। शहर में तो अब यह गौरैया देखी भी नहीं जा जाती।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग जिन्हें प्रकृति से लगाव है वो इसके संरक्षण के लिए बहुत प्रयास कर रहे हैं। मुझे अपना बचपन याद आता है, जब मैं गौरैया के घोंसलों को अपने घर की मिट्टी की दीवारों के दरारों में, बसों और रेलवे स्टेशन की छतों में देखा करता था। लेकिन अब कुछ दशकों से गौरैया शहरों के इलाकों में दुर्लभ पक्षी बन गई।

कार्यक्रम में श्रीमती राजेश देवी सचिव राजकमल कॉलेज और महाविद्यालय के प्रबंध समिति सदस्य दुष्यंत प्रताप, नितिन चौहान, ने प्रोफेसर मुकेश कुमार, वनस्पति विज्ञान गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, डॉ विपिन शर्मा फार्मेसी विभाग, कुंवरपाल सिंह, यशपाल सिंह, अजय कुमार, विनीत कुमार, आस्था यादव, नैंसी चौहान, वेदांश कौशिक, बृजेश कुमार, अविनाश आदि उपस्थित रहे।