स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है जैविक खेती से उत्पन्न फसल : कुलपति

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03HREG4 स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है जैविक खेती से उत्पन्न फसल : कुलपति

कानपुर, 02 मार्च (हि.स.)। कृषि रक्षा रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग करने से मिट्टी एवं वातावरण के साथ-साथ मानव के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए कृषि रक्षा रसायनों का एक न्याय संगत एवं समुचित प्रयोग करना चाहिए तथा यदि संभव हो सकता है तो कृषि रक्षा रसायनों के विकल्पों का प्रयोग कर जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए। जैविक खेती से तैयार उत्पाद गुणवत्ता के लिए के दृष्टिकोण से अच्छे होते हैं जिनका मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह बातें गुरुवार को सीएसए के कुलपति डॉ. बिजेन्द्र सिंह ने कही।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के सब्जी अनुभाग कल्याणपुर में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना अंतर्गत एक दिवसीय मसाला फसलों पर कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेती में विविधीकरण को अपनाना होगा तथा किसान आधारित प्रसार तंत्र विकसित करना होगा, क्योंकि आज भी नवीनतम एवं सफल तकनीकी का हस्तांतरण किसान के द्वारा भी किसानों तक होता है।

उन्होंने ट्राइकोडरमा से बीज उपचार करने के विषय में भी विस्तार से चर्चा की। सब्जी फसलों में पोषक तत्व प्रबंधन के विषय में बताते हुए कहा कि आजकल अधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियों से मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों का अभाव हो गया है। इसलिए यदि खड़ी फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व का पौधे पर छिड़काव करना चाहिए तथा ऐसे उत्पाद में सूक्ष्म पोषक तत्व की मात्रा भी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है। उन्होंने मिर्च की पूसा ज्वाला की रोपाई करने की संस्तुति करते हुए किसानों को बताया कि नर्सरी में विषाणु प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है जिसका समुचित प्रबंधन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मेथी एवं धनिया ऐसी फसलें हैं जिसको बीज के साथ-साथ पत्ती के रुप में भी उगाया जाता है और धनिया की अगेती फसल लेकर बहुत अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

निदेशक शोध डॉ. पी.के. सिंह ने सब्जी फसलों में मूल्य संवर्धन पर चर्चा की तथा बताया कि यदि हम अपने उत्पाद से अधिक आय अर्जित करना चाहते हैं तो उनका मूल्य संवर्धन आवश्यक है। उन्होंने आलू के चिप्स का उदाहरण देते हुए बताया कि दो आलू का चिप्स तैयार कर 25 से 30 रुपये में बाजार में बेचा जा रहा है, इसलिए मूल्य संवर्धन वर्तमान समय की मांग है। निदेशक प्रसार डॉ. आर. के. यादव ने मसाला फसलों के विकास में प्रसार तंत्र की भूमिका पर चर्चा की गई।