रंगभरी एकादशी पर होगा मां मणिकर्णिका का षोडशोपचार पूजन

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28HREG157 रंगभरी एकादशी पर होगा मां मणिकर्णिका का षोडशोपचार पूजन

— उत्तराभिमुख गोमुख के दर्शन का विधान,सिर्फ दो बार साल में मिलता है दर्शन, मान्यता- भगवान विष्णु ने अपने चक्र से निर्माण किया था

वाराणसी,28 फरवरी (हि.स.)। रंगभरी एकादशी (तीन मार्च) को अनादि तीर्थ मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी तीर्थ में स्थित उत्तराभिमुख गोमुख का दर्शन श्रद्धालु करेंगे। इसकी तैयारियां चल रही हैं। गोमुख का दर्शन व पूजन वर्ष में सिर्फ दो बार ही होता है। पहला रंगभरी एकादशी और दूसरा अक्षय तृतीया के दिन। काशी ही नहीं, देश भर से श्रद्धालु गोमुख व कुंड के दर्शन के लिए बाबा की नगरी में आते है। काशी में मान्यता है कि कुंड के जल का स्त्रोत हिमालय (बद्रिकाश्रम) से आता है। मंगलवार को तीर्थ पुरोहित पं. मनीष नंदन मिश्र ने बताया कि भगवान विष्णु ने अपने चक्र से इसका निर्माण किया था। उसके बाद भगवान विष्णु ने यहां पर 60 हजार वर्षों तक तपस्या की थी। इस दौरान उनके तन से निकले पसीने से कुंड भर गया। उन्होंने बताया कि मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी कुंड का वार्षिक शृंगार परंपरानुसार तीन मार्च को रंगभरी एकादशी की रात होगा। पुरोहित सभा आयोजन की तैयारियों में लगी हुई है। उन्होंने बताया कि तीन मार्च को ही मां मणिकर्णिका का षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाएगा। साथ ही गुलाल सहस्त्रार्चन व शृंगार के बाद महाआरती की जाएगी। 21 वैदिक आचार्यों के आचार्यत्व में रुद्री पाठ का आयोजन भी होगा। महाशृंगार की झांकी रात्रि 8 बजे से प्रारंभ होगी जिसका दर्शन रात्रिपर्यंत चलेगा। इस अवसर पर कुंड में स्थित उत्तराभिमुख गोमुख का भी दर्शन होगा।