बर्फबारी की आहट से सहमे हैं भू धसाव प्रभावित सैकड़ों परिवार

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01HREG14 बर्फबारी की आहट से सहमे हैं भू धसाव प्रभावित सैकड़ों परिवार

जोशीमठ, 01 जनवरी (हि.स.)। आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की तपस्थली धार्मिक और पर्यटन नगरी जोशीमठ इन दिनों भू धसाव, मकानों में दिन प्रतिदिन बढ़ती दरारों के कारण देश-दुनिया में चर्चाओं में है।

जोशीमठ नगर में दरकते मकानों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। प्रभावित मकानों से किरायेदारों का अन्यत्र शिफ्ट होना जारी है तो भवन स्वामी भगवान भरोसे दरकते मकानों में ही रहने को विवश हैं।

सीमान्त नगर जोशीमठ में आज जो कुछ हो रहा है, उसका उल्लेख तो 46 वर्ष पूर्व गठित मिश्रा कमेटी ने भी करते हुए अनेक सुझाव दिए थे। वर्ष 1976 में तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर महेश चन्द्र मिश्रा की कमेटी ने जोशीमठ का व्यापक सर्वेक्षण कर अपनी रिपोर्ट में जो सुझाव दिए थे यदि इन 46 वर्षों में उन पर अमल होता तो शायद आज इतनी विकट स्थिति देखने को नहीं मिलती।

मिश्रा कमेटी ने सुझाव दिए थे कि जोशीमठ में अनियंत्रित बहने वाले नालों को व्यवस्थित करने अलकनंदा के बाईं ओर भू धसाव रोकने के लिए उचित प्रबंध करने, जोशीमठ नगर मे नियंत्रित निर्माण व तय मानकों के अनुसार ही निर्माण की स्वीकृति दिए जाने तथा जोशीमठ के निचले हिस्से में न केवल ब्लास्ट को प्रतिबंधित करने बल्कि नदी के किनारे पत्थरों के टिपान को भी वर्जित करते हुए कई अन्य सुझाव दिये थे।

यहां यह उल्लेख किया जाना भी आवश्यक है कि जब मिश्रा कमेटी की रिपाेर्ट को आधार मानते हुए वर्ष 1991 में इलाहाबाद हाईकोर्ट हेलंग-मारवाड़ी बाइपास पर स्थगन आदेश दे सकता है तो आखिर क्या कारण रहे कि जोशीमठ में बड़े निर्माणों व परियोजनाओं को मंजूरी मिलती रही?

बहरहाल 46 वर्षों में जो भी त्रुटियां हुईं उसका खामियाजा आज पूरा जोशीमठ नगर भुगत रहा है। जोशीमठ का कोई घर-मकान ऐसा नहीं है जो भू धसाव की जद में ना हो।

मौसम का रुख बदलते ही भू धसाव प्रभावित परिवारों की धड़कनें भी बढ़ रही है। लोग आशंकित हैं कि बर्फबारी व बारिश का पानी फटती भूमि और दरकते मकानों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। आज पुनः मौसम ने करवट बदली है तो भू धसाव प्रभावितों की चिंता बढ़ना भी स्वाभाविक है।