भारत लेमनग्रास के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बना : प्रो. प्रबोध त्रिवेदी

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17HREG109 भारत लेमनग्रास के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बना : प्रो. प्रबोध त्रिवेदी

-ट्रिपल आईटी में कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी इन थेरेप्यूटिक्स पर कार्यक्रम

प्रयागराज, 17 अक्टूबर (हि.स.)। लेमनग्रास के सबसे बड़े आयातकों में से भारत अब दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बन गया है। यह बातें सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स सीएसआईआर-सीआईएमएपी के निदेशक प्रो. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने सोमवार को कही।

नगर के झलवा स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) के एप्लाइड साइंस विभाग द्वारा आयोजित कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी इन थेरेप्यूटिक्स पर संकाय विकास कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि हर साल लगभग 1000 टन लेमनग्रास का उत्पादन होता है और इसमें से 400 टन निर्यात किया जाता है। जो भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत की महत्वाकांक्षी योजना की ओर अग्रसर होता है। उन्होंने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से नई किस्मों के विकास और विकास की कई सम्भावनाएं हैं।

ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. आरएस वर्मा ने दुनिया में जेनेटिक इंजीनियरिंग के अभूतपूर्व विकास पर प्रकाश डाला। कहा कि कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान और जैव सूचना विज्ञान एक अंतः विषय क्षेत्र है जो जैविक डेटा के बड़े संग्रह का विश्लेषण करने के लिए कम्प्यूटेशनल विधियों को विकसित और लागू करता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तरह के संकाय विकास कार्यक्रम से शोधकर्ताओं को नए शोध के रास्ते मिलेंगे।

प्रो. नीतेश पुरोहित, डीन एकेडमिक्स ने कहा कि ट्रिपल आईटी नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के हिस्से के रूप में लचीले शैक्षणिक कार्यक्रम पर सफलतापूर्वक काम कर रहा है। अनुप्रयुक्त विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. रतन साहा ने कहा कि जैव विज्ञान में विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में आईटी का उपयोग किया जाता है। उद्घाटन समारोह के बाद प्रो. कृष्णा मिश्रा ने अपना व्याख्यान दिया।

ट्रिपल आईटी के पीआरओ डॉ. पंकज मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक डॉ. निधि मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सह समन्वयक डॉ. सिंटू सामंत ने संकाय विकास कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।