सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण राष्ट्रहित में नहींः अनुपम

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-बीएमएस के क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने कहा- निजीकरण के खिलाफ करेंगे देशव्यापी आंदोलन

लखनऊ, 24 जुलाई (हि.स.)। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) निजीकरण, निगमीकरण, ठेका प्रथा, आउट सोर्सिंग एवं मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान आंदोलन से भी बड़ा देशव्यापी आंदोलन करेगा। बीएमएस के उत्तर मध्य क्षेत्र (उप्र, उत्तराखंड, दिल्ली) के क्षेत्र संगठन मंत्री अनुपम का कहना है कि सरकार एक के बाद एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण कर रही है। बीएमएस हमेशा निजीकरण के खिलाफ रहा है। सरकार बिजली विभाग, रेलवे, डाक, बैंकिंग, विमानन, रक्षा और बीमा क्षेत्र में निजीकरण कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण एवं निगमीकरण न राष्ट्रहित में है और न ही मजदूर हित में। बीएमएस का मानना है कि बीमा क्षेत्र में पूंजी निवेश की आवश्यकता नहीं है, वह स्वयं ही पूंजी पैदा करता है। इन सभी मुद्दों पर क्षेत्रीय संगठन मंत्री अनुपम ने हिन्दुस्थान समाचार से खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश-

भारतीय मजदूर संघ की स्थापना की पृष्ठिभूमि क्या थी?

आजादी के बाद देश के मजदूर संगठनों पर कम्युनिस्टों का कब्जा था। वे मास्को से प्रेरित थे। मजदूरों का शोषण हो रहा था। इससे मजदूरों में निराशा एवं उदासीनता उत्पन्न होने लगी थी। भारतीय चिंतन के आधार पर मजदूर क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता महसूस हुई। संघ के द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी ने संघ के वरिष्ठ प्रचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी को मजदूर क्षेत्र में काम करने का अनुभव लेने के लिए इंटक में भेजा। दत्तोपंत ठेंगड़ी 1949 से 1955 तक इंटक में विभिन्न दायित्वों पर रहे। इसके बाद 23 जुलाई 1955 को भोपाल में भारतीय मजदूर संघ की स्थापना की गयी। भारतीय मजदूर संघ ने तय किया कि राष्ट्रहित और उद्योगहित को ही सर्वोपरि माना जाएगा और राजनीति से दूर रहेगा।

अन्य मजदूर संगठन और भारतीय मजदूर संघ में क्या अंतर है?

अन्य श्रमिक संगठनों का उद्देश्य सिर्फ श्रमिकों का ही हित होता है जबकि मजदूर संघ का अंतिम लक्ष्य समूची मानव जाति का उत्थान है न कि मात्र श्रमिकों के कल्याण तक सीमित है। अन्य संगठन नारा लगाते हैं कि चाहे जो मजबूरी हो हमारी मांगें पूरी हों। मजदूर संघ का नारा है कि देशहित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम। अन्य मजदूर संगठन कहते थे कि दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ। मजदूर संघ ने नारा दिया, मजदूरों दुनिया को एक करो। अन्य श्रमिक संगठन 01 मई को मजदूर दिवस मनाते हैं। मजदूर संघ ने कहा कि भारत का श्रम दिवस आदि शिल्पकार विश्वकर्मा की जयंती के दिन होगा।

मजदूर संघ की महत्वपूर्ण उपलब्धि क्या रही है?

केंद्र सरकार ने 44 श्रम कानूनों को चार कोड में निहित किया है। यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। सरकार ने न्यूनतम वेतनमान, सामाजिक सुरक्षा कोड में अपेक्षित परिवर्तन किया है परंतु औद्योगीकरण और स्वास्थ्य के क्षेत्र के लिए सरकार पर दबाव डाला जा रहा है। स्थापना के समय तय हुआ था कि भारतीय मजदूर संघ गैर राजनीतिक संगठन होगा। राष्ट्रहित और उद्योगहित को ही सर्वोपरि माना जाएगा। बाद में बीएमएस के इस सिद्धांत को विश्वभर में मान्यता मिली। नवंबर 1990 में रूस की राजधानी मास्को में बारहवीं वर्ल्ड फेडरेशन आफ ट्रेड यूनियन का विश्वस्तरीय सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में 133 देशों की चार हजार यूनियनों का प्रतिनिधित्व हुआ था। उस सम्मेलन में भारतीय मजदूर संघ से भी दो प्रतिनिधि गये थे। उस सम्मेलन में भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधियों ने गैर राजनीतिक श्रम संगठन के समर्थन में एक प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसी सम्मेलन में लाल झंडा उतारकर सफेद ध्वज फहराया गया।

देश में और विशेषकर उप्र में सांगठनिक कार्य की क्या स्थिति है?

इस समय देशभर में पौने तीन करोड़ बीएमएस के सदस्य हैं। देश के सभी प्रांतों एवं अंडमान निकोबार समेत सभी द्वीप समूहों में हमारा कार्य है। देशभर में सात हजार यूनियन मजदूर संघ से संबद्ध हैं। उत्तर प्रदेश में सभी जिलों में जिला इकाइयां हैं। कुल 715 यूनियन उत्तर प्रदेश में काम कर रही हैं। इसके अलावा आंगनबाड़ी, आशा बहू, एनआरएचएम, 108 एम्बुलेंस, 102 एम्बुलेंस, रेहड़ी पटरी और ठेला लगाने वालों के बीच भी काम है।

श्रमिकों की प्रमुख समस्याएं क्या हैं?

निजीकरण, निगमीकरण, आउटसोर्सिंग, ठेका प्रथा और वेतन की असमानता श्रमिकों की प्रमुख समस्या है। इन समस्याओं के निराकरण के लिए मजदूर संघ प्रयासरत है।

कोरोनाकाल में दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष रोजीरोटी का संकट था, ऐसे समय में मजदूर संघ कहां था?

कोरोनाकाल में जब सभी श्रम संगठनों के प्रतिनिधि हाथ पर हाथ धरे बैठे थे ऐसे कठिन दौर में बीएमएस के कार्यकर्ताओं ने श्रमिकों की चिंता की और रेहड़ी-पटरी दुकानदारों, रिक्शाचालकों और दिहाड़ी मजदूरों को भोजन पैकेट, राशन किट और सेनेटाइजर उपलब्ध कराने का काम किया।