हरिद्वार, 10 जुलाई (हि.स.)। धर्मनगरी हरिद्वार में कावड़ मेले में हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती है। हिन्दुओं की कांवड़ यात्रा बिना मुस्लिम समुदाय के सहयोग के पूरी ही नहीं हो सकती। भले ही कांवड़िये सावन शुरू होने से कुछ दिन पहले यात्रा की तैयारी करते हों। लेकिन मुस्लिम समाज के लोग इस यात्रा के लिए महीनों पहले से तैयारी करने लगते हैं। मुस्लिम समाज के द्वारा बनाई गई कांवड़ को ही लेकर कांवड़िये गंगा जल भरते हैं और बम भोले के जयघोष के साथ रवाना होते हैं।
हरिद्वार में आगामी 14 जुलाई से कांवड़ मेला शुरू होने जा रहा है। कांवड का यह मेला हिंदू मुस्लिम एकता भाईचारे और सौहार्द का भी संदेश देता है। मेले के दौरान शिवभक्त कांवड़ियों की कांवड़ को मेले से पहले भारी संख्या में मुस्लिम समाज तैयार कर रहा है। मुस्लिम परिवार के बच्चों को कांवड़ बनाने का हुनर विरासत में मिलता है। कांवड़ बनाने के काम में परिवार के बुजुर्ग से लेकर महिलाएं और बच्चे भी महीनों पहले से दिन रात काम करते हैं। कांवड़ियों के कंधों पर जिस कांवड़ को देखते हैं। उनको बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग बनाकर बेचते हैं, पिछले कई दशकों से मुस्लिम परिवार हरिद्वार में कांवड़ बना रहे हैं।
बीते 20 सालों से कांवड़ बनाने का काम कर रहे फरमान का कहना है कि हरिद्वार में सबसे ज्यादा कांवड़ उत्तर प्रदेश की तरफ से आती है, जब वहां के मुख्यमंत्री योगी का बयान आया कि इस बार कांवड़ यात्रा चलेगी तो उन्हें काफी राहत महसूस हुई, जिसके बाद हम परिवार के साथ कांवड़ बनाने में जुट गए। कांवड़ बनाने वाले लोगों का मानना है कि इस बार 4 महीने देर से कांवड़ शुरू होने का पता चला, जिसके चलते अब हमें दिन रात मेहनत कर कांवड़ बनानी पड़ रही है। कांवड़ बनाने वाले इन परिवारों में बच्चा बड़ा होते ही किसी न किसी रूप में कांवड़ बनाने से जुड़ जाता है। यही कारण है कि जब वह बड़ा होता है, तो वह एक अच्छा कांवड़ निर्माता बन चुका होता है।
दो साल से कोरोना की मार का असर अन्य व्यवसायों के साथ कांवड़ व्यवसाय पर भी काफी गहरा पड़ा है, लेकिन इस बार इस धंधे से जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों को न केवल इस मेले से बड़ी आस है, बल्कि वे मानते हैं कि इस बार कांवड़ की डिमांड भी बीते सालों की तुलना में काफी अधिक बढ़ी है। वैसे तो कांवड़ उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली सहित कई राज्यों में तैयार होती है और बिकने के लिए हरिद्वार आती है। लेकिन हरिद्वार में ज्वालापुर क्षेत्र में करीब साढ़े चार सौ ऐसे मुस्लिम परिवार हैं, जो कांवड़ के कारोबार से जुड़े हुए हैं। इन परिवारों के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लगभग पूरे साल ही कावर तैयार करने का काम करते हैं।