सिवनीः दोपहर बाद बंद रहा सिवनी, पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए सड़क पर उतरा आदिवासी समाज

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सिवनी, 09 मई(हि.स.)। जिले की कुरई तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम सिमरिया निवासी धनसा इनवाती व संपत बट्टी की हत्या एवं घायल ब्रजेश बट्टी को न्याय दिलाने के लिए आदिवासी संघर्ष समिति के तत्वावधान में सिवनी बंद का आव्हान किया गया था। सुबह से ही अधिकांश क्षेत्रों मेें व्यापारी ने स्वेच्छा से प्रतिष्ठान बंद रखे, वहीं उपनगरीय क्षेत्रों में व्यापार चलता रहा।

नगरपालिका चौक में 11 बजे से ही विरोध प्रदर्शन के लिए आदिवासी एवं अन्य संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने एकत्र होना आरंभ कर दिया था। हालांकि पुलिस की चाकचौबंद व्यवस्था के चलते जबलपुर, छिंदवाड़ा, नागपुर, बरघाट रोड से आने वाले मार्गों पर आंदोलनकारियों को वाहन सहित जाने से रोक दिया गया था।

लगभग 1 बजे अलग-अलग समूह बनाकर एकत्र हुए आंदोलनकारी नगरपालिका चौक से रवाना हुए। लगभग 5000 से अधिक महिला एवं पुरूष विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रैली को नगर पालिका चौक से सीधे कलेक्ट्रेट परिसर जाना था लेकिन आंदोलनकारियों ने प्रशासन पर दबाव बनाकर रैली का रूट परिवर्तित कर लिया।

नगरपालिका चौक से बस स्टैंड होते हुए गांधी भवन से गणेश चौक, शुक्रवारी बाजार, नेहरू रोड से गिरजाकुंड होते हुए हजारों नागरिक हाथों में झंडा और नारे लगाते हुए दुर्गा चौक से मठ तालाब होते हुए छिंदवाड़ा चौक पहुंचे।

इसके बाद विरोध प्रदर्शन नगरपालिका चौक में आरंभ हुआ जहां लगातार शिवराज सरकार के खिलाफ नारेबाजी होते रही। कचहरी चौक से कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचने के पहले ही पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को रोक दिया गया।

जद्दोजहद के बाद आदिवासी संघर्ष समिति के चुनिंदा पदाधिकारियों को ज्ञापन सौंपने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में जाने की अनुमति प्रदान की गई। जिसके बाद अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

चप्पे चप्पे पर पुलिस

रविवार की रात से ही जिला प्रशासन एवं पुलिस के आला अधिकारियों ने तैयारियां करना आरंभ कर दी थी जहां देर रात्रि तक कंट्रोल रूम में बैठकों का दौर चलता रहा। सुबह 6 बजे से ही पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक सहित आला अधिकारी विभिन्न क्षेत्रों में भारी पुलिस बल के साथ डटे रहे।

ड्रोन से निगरानी

किसी भी अनहोनी घटना एवं शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में खलल डालने वाले तत्वों को चिन्हित करने के लिए जुलूस की वीडियोग्राफी करवाई गई, वहीं इस दौरान पुलिस द्वारा ड्रोन कैमरे का उपयोग भी किया गया ताकि अप्रिय घटना होने के बाद चिन्हित व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाहियां सुनिश्चित की जाएं।

लुकाछिपी का खेल

सिवनी मुख्यालय पहुंचने के लिए कुरई क्षेत्र से आदिवासी व अन्य वर्ग के लोग अलग-अलग जत्थों में पहुंचे। रैली निकलने के बाद अचानक पहुंची भीड़ ने छिंदवाड़ा चौक में स्थित बादल बेन की दुकान पर तोडफ़ोड़ की वही बुधवारी शराब दुकान को भी बलपूर्वक बंद कराने का प्रयास किया गया। वही बरघाट रोड से आ रहे आंदोलनकारियों ने डिसलरी के समीप स्थित शराब दुकान को बंद करवाया।

लगे आजादी के नारे

सिवनी के इतिहास में एक बार फिर आजादी के नारे लगे जहां नगरपालिका चौक एवं जुलूस प्रदर्शन के दौरान बजरंग दल, आरएसएस एवं मनुवादी संगठनों के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाए गए। हालांकि पुलिस की मौजूदगी के कारण मामला शांतिपूर्ण रहा।

यातायात रहा आरंभ

पूर्व से की गई व्यवस्था के अनुसार सभी मुख्य मार्गों की ओर जाने वाली बसों का संचालन जारी रहा। पहले से बंद की सूचना मिलने के कारण कम संख्या में ग्रामीण मुख्यालय पहुंचे थे। केवल शादी ब्याह व आवश्यक कार्य से आने वाले व्यक्ति ही नगर में दिखाई दिए।

आवश्यक सेवाओं पर नहीं पड़ा असर

थोक एवं चिल्हर सब्जी मंडी का सुचारू रूप से संचालन होता रहा। वहीं एंबुलेंस जैसे वाहनों को भी प्रदर्शनकारियों ने अपने गंतव्य स्थल पर जाने से नहीं रोका। इसके अलावा दवा दुकानें व बैंक भी आम नागरिकों की सुविधाओं के लिए खुले रहे।

बंद से दूर रही कांग्रेस

विधायक अर्जुनसिंह काकोडिय़ा द्वारा ही सबसे पहले दोहरे हत्याकांड मामले में विरोध प्रदर्शन किया गया था। यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भी सिवनी पहुंचे, लेकिन सोमवार को आदिवासी संगठनों के आव्हान पर किए गए बंद को कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया। यहां तक कि स्वयं विधायक अर्जुनसिंह काकोडिय़ा भी पूरे आंदोलन के दौरान नदारद रहे।

मुझसे नहीं किया गया संपर्क

हि.स. द्वारा बंद के दौरान कांग्रेस व अर्जुनसिंह काकोडिय़ा की अनुपस्थिति को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होने कहा कि जिला कांग्रेस के संबंध में मैं अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कह सकता। व्यक्तिगत रूप से मुझे बंद का आव्हान करने वाले संगठनों ने मुझसे संपर्क ही नहीं किया।

बरघाट में बंद का नहीं हुआ असर

जिस कुरई क्षेत्र में घटना घटित हुई थी उसके मुख्यालय बरघाट में बंद का असर बिल्कुल नहीं रहा। सुबह से व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रहे और सामान्य तरीके से आम नागरिकों ने अपने दैनिक कामकाज किया।

दो बार सौंपा गया ज्ञापन

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आंदोलन के दौरान पहले से ही अलग-अलग संगठनों में मतभेद दिखाई दे रहे थे। ज्ञापन सौंपने के दौरान भी गुटों ने संगठित रूप से ज्ञापन सौंपने की बजाए दो बार अलग-अलग समूहों में वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर अपनी ताकत का अंदाजा कराने का प्रयास करवाया। वहीं रैली के समाप्त होते ही शाम 5.30 बजे से व्यापारिक प्रतिष्ठान खुल गये।