लोकगायिका कुसुम वर्मा ने माड़ौ के गीतों को अपनी सूरों से बंधा

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– ‘माड़ौ तो बड़ा सुंदर नाहीं जान्यौ कौने गुना…’गीतों से सजाया

लखनऊ, 07 मई (हि.स.)। इन दिनों विवाह-शादी मौसम चल रहा है। हिन्दुओं के विवाह में माड़ौ छाने की परम्परा पुराने समय से चली आ रही है। माड़ौ के नीचे ही वर-कन्या की परिणय सूत्र बंधते हैं। इसी के नीचे ही विवाह की सारी रस्में निभाई जाती है। जैसे वर के पैर पूजना, दूल्हा-दुल्हन का अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेना, कन्या दान जैसे कई दूसरे रिवाज भी होते हैं। अंत में माड़ौं के नीचे ही बारातियों को भात खिलाने की रीति भी निभाई जाती है। माड़ौ वर और कन्या दोनों के आंगन में छाया जाता है। सनातन परम्परा में बिना माड़ौं छाये विवाह की शायद कल्पना ही नहीं की जा सकती है।

पहले माड़ौ छाने के समय गाए जाते थे लोक गीत

विवाह में माड़ौं को महत्ता को देखते हुए ही इसे बहुत खूबसूरती से बनाया भी जाता है। माड़ौ को कहीं-कहीं मंडप भी कहा जाता है। मंडप की खूबसूरती को देखते हुए ही लोक गायिका कुसुम वर्मा ने अपनी आवाज में माड़ौ पर गाए लोक गीतों को गाया है। पुराने समय में माड़ौ छाने के समय परिवार की बुजुर्ग महिलाएं और बहुएं गाती थीं, लेकिन आज की नई पीढ़ी को माड़ौ की परम्परा की जानकारी देते गायिका ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर बड़ी खूबसूरती से गाया है। उनकी ये गीतें अवध क्षेत्र में परम्परा से गाए जाते हैं।

गीत के बोल है ‘माड़ौ तो बड़ा सुंदर नाहीं जान्यौ कौने गुना, ए जी नाहीं जान्यौ बरई के छाय कि फुसवा के कारन हो’। दूसरा गीत है शगुन आये हरे-हरे लगन आए मोरे अंगना, रघुनंदन फूले न समाए…..। एक और गीत है। इसके अलावा एक और गीत गाया है। इसमें संगीत अभिषेक झा ने संगीत दिया है। जिसे पसंद भी किया जा रहा है।

अवधी लोक गीतों में माड़ौ की सुन्दरता का किया गया है बखान: डॉ. विद्या बिदु सिंह

लोक साहित्यकार पद्मश्री डॉ. विद्या बिदु सिंह बताती हैं कि माड़ौ सनातन परम्पर में बहुत समय पहले से छाया जाता रहा है। यह एक छायादार होता है, जिसके नीचे वर-कन्या का विवाह होता है। इसका जुड़ाव प्रकृति से होता है। जैसे इसमें बांस का प्रयोग होता है। बांस वंशवृद्धि का सूचक है। कलश रखा जाता है। कलश एक पूरी प्रकृति को इंगित करता है। ऐसे ही बहुत सी चीजें हैं जो प्रकृति से जोड़ती है। वह बताती हैं मंडप के नीचे सगुन की नीचे रखी जाती है। जो वर-कन्या की जीवन में शुभता और मंगलकामना का संदेश देती है। अवधी लोक गीतों में माड़ौ की महत्ता और सुन्दरता का बखान किया गया है।