पत्नी व साले की हत्या के आरोपित की जमानत अर्जी खारिज

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कोर्ट ने कहा, केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य होने पर जमानत पाने का आधार नहीं

प्रयागराज, 31 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अपराध का केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य होने से जमानत पाने का आधार नहीं मिल जाता। यह भी देखा जायेगा कि साक्ष्य की कड़ियां विश्वसनीय रूप से मिल रही है या नहीं।

कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त अपनी पत्नी व साले को मेला दिखाने साथ ले गया और दूसरे दिन पत्नी व साले की खेत में लाश पाई गई। देशी कट्टा भी बरामद किया गया है। जिससे गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगाया गया है। पहले से ही उसके खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत थी। कोर्ट ने कहा साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत आरोपित पर स्वयं को निर्दोष साबित करने का भार है। परिस्थितियां श्रृंखला बना रही है।

कोर्ट ने अपराध में संलिप्तता, आरोप की गम्भीरता, सम्भावित सजा, गवाहों से छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश देने से इंकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने बिजनौर के नूरपुर थाना क्षेत्र के धमरौला निवासी सोमपाल की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

मृतका के भाई विक्रम सिंह ने बिजनौर कोतवाली में एफ आई आर दर्ज कराई। जिसमें अपने जीजा पर अपनी पत्नी व साले की हत्या करने का आरोप लगाया। दो सह अभियुक्त शालिम व कपिल की भी संलिप्तता पाई गई। याची का कहना था की घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ियां नहीं मिलती। दोनो शव 700 मीटर की दूरी पर अलग अलग खेतों में थे। देशी कट्टा बरामदगी फर्जी है। प्राथमिकी और दर्ज बयान में भिन्नता है। वह 17 अगस्त 19 से जेल में बंद है। कोर्ट ने इस तर्क को सही नहीं माना।